संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के बारे में अपना बयान जारी किया है। इस बयान में से परिषद ने तालिबान का नाम हटा दिया है। इससे पहले जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था, तब के बयान और इस नए बयान में तालिबान को लेकर UN का रवैया बदला हुआ लग रहा है।
16 अगस्त को जारी किए बयान में सुरक्षा परिषद ने चेतावनी देते हुए कहा था- न तालिबान को, न किसी अफगानी समूह को और न ही किसी व्यक्ति को किसी दूसरे देश के अंदर मौजूद आतंकियों का सहयोग करना चाहिए।
अब नए बयान में से परिषद ने तालिबान का नाम हटा दिया है। काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के बाद सुरक्षा परिषद ने बयान जारी करके कहा- किसी अफगानी समूह को किसी देश में आतंक फैला रहे आतंकियों का सहयोग नहीं करना चाहिए।
भारत ने पकड़ी UN की गलती
इस बयान पर भारत ने ही साइन करके इसे जारी किया है। भारत 1 अगस्त को एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना था। पिछले साल अप्रैल तक UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सयैद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद के बयान में आए फर्क को सामने रखा।
तालिबान को लेकर अपनी रणनीति तय नहीं की है भारत ने
19 अगस्त को जब भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से पूछा गया कि वे तालिबानी हुकूमत को कैसे देखते हैं और इससे कैसे डील करेंगे तो उन्होंने कहा कि तालिबानी सरकार अभी शुरुआती चरणों में है और अभी हमारा लक्ष्य अफगानिस्तान में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
भारत ने काबुल से अपने मिशन स्टाफ को पहले ही निकाल लिया है। पिछले हफ्ते तालिबान अफगानिस्तान में मौजूद भारत के दो वाणिज्य दूतावास में घुस गए थे। वहां उन्होंने दस्तावेज ढूंढे और पार्किंग में लगी कारों को ले गए। इसे लेकर भारत सरकार के सूत्रों ने चिंता जाहिर की थी कि तालिबान की ऐसी गतिविधियों का मतलब है कि वह दुनिया को जो भरोसा दिलाता रहता है, वह उसके हिसाब से काम नहीं कर रहा है।
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