पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद का मंजर बेहद ही भयावह है। ऋषिगंगा नदी किनारे 15 हेक्टेयर में फैला मरिंडा जंगल चंद मिनटों में साफ हो गया। हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अलावा चीन सीमा तक पहुंचाने वाला बीआरओ का ब्रिज, चार झूला ब्रिज, कई मंदिर और घर महज आधे घंटे में ही तबाह हो गए।
बीआरओ का ब्रिज टूटने से चीनी सीमा के पास तैनात जवान देश से कट गए हैं। वहीं, सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इस दौरान कई शव दलदल में धंसे और चट्टानों में अटके मिले। अब टनल से मजदूरों के जिंदा निकलने की उम्मीद है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इस हादसे को लेकर कुछ आशंकाएं जताईं, जो चौंकाने वाली हैं।
यह सिर्फ ग्लेशियर टूटना भर नहीं, बल्कि इससे पैदा हुए स्नो एवलांच ने आपदा के रौद्र रूप को विकराल बनाया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके राय बताते हैं- ‘जिस इलाके में आपदा आई, वहां पिछले दिनों बारिश के बाद भारी बर्फबारी हुई थी, जो ऊपरी क्षेत्रों में जमी थी।
संभव है- ऊपरी सतह बर्फ और मलबे के साथ तेजी से नीचे खिसकी होगी। ताजा शोध के मुताबिक पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण गंगोत्री ग्लेशियर हर साल 22 मीटर पीछे खिसक रहा है। उत्तराखंड में ज्यादातर अल्पाइन ग्लेशियर हैं। अल्पाइन आकार के पर्वतों पर बनने के कारण इन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है। ये ग्लेशियर एवलांच के लिहाज से खतरनाक हैं।
कोई भाई को तलाशने आया तो कोई पापा को; लोगों को अब भी डर, इसलिए घर भी नहीं जा रहे
हादसे के बाद लापता लोगों के परिजन घटना स्थल पर पहुंचने लगे हैं। पथराई आंखें हर पल किसी न किसी चमत्कार का इंतजार कर रही हैं। कोई अपने भाई को तलाश रहा है तो कई अपने पापा को। 5 साल की सृष्टि लगातार अपनी मां से पूछ रही है कि पापा खिलौने लेकर कब आएंगे। उसके पिता रमन कंडियाल भी इस आपदा के बाद लापता हैं।
संदीप बांध परियोजना की कंपनी में कार्यरत थे। उनको तलाशने उनके भाई हरेंद्र रैणी गांव पहुंचे है। मलबे के ढेर में काम कर रहे जेसीबी को वो भीगी आंखों से बड़ी उम्मीद से देख रहे है। बताते हैं कि उनके छोटे भाई दो बेटियां है। बड़ीं पांच साल की सृष्टि और छोटी मिस्टी। दूसरी ओर, हरिद्वार से आए संदीप अधिकारियों के पास जाकर अपने भाई विक्की के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।
विक्की हरिद्वार की एक इलेक्ट्रिक कंपनी की ओर से ऋषिगंगा विद्युत परियोजना में काम करने आया था। उसके साथ तीन अन्य लोग भी थे। संदीप ने कहा- ‘घटना के समय उसका भाई प्रोजेक्ट के गेट तक आया था। तब से ही लापता है।’ इधर, एक स्थानीय महिला ने बताया कि घरों में मिट्टी भर गई है। अगर दोबारा जल स्थर बढ़ा तो खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए घर जाने में डर लग रहा है।
परेशानी: चीनी सीमा से सटे तीस गांव का संपर्क देश से कट गया
रैणी गांव में पुल टूटने से चीन सीमा की ओर पढने वाले 30 गांवों का संपर्क भारत से कट गया है। इससे सामरिक दृष्टि से अहम सेना की पोस्ट तक रसद और साजो-सामान पहुंचाने में सेना को दिक्कत होने लगी है। वहीं तीस गांव पूरी तरह से कट गए हैं। सरकार ने इन गांवों में किसी के बीमार होने पर चौपर देने के निर्देश दिए हैं।
वहीं रसद आपूर्ति भी अगले कुछ दिनों तक हेलीकॉप्टर से ही होगी। आईटीबीपी के एडीजे मनोज सिंह ने बताया कि पुल के बह जाने से बड़ा संकट हो गया है। इसके लिए उसके तत्काल बीआरओ से बनवाने के लिए कहा गया है। तीस गांव और सीमा की रक्षा के लिए ये पुल बेहद जरूरी है। दूसरी ओर, अनुमान है कि इस आपदा से प्रारंभिक तौर पर 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह राशि बढ़ सकती है।
भास्कर नॉलेज: ग्लेशियर और नदियों का अपना नेचुरल साइंस
हिमालयी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा उत्तराखंड में है, जिसके ग्लेशियरों और नदियों की अपनी प्राकृतिक व्यवस्था है। पहाड़ों पर ग्लेशियर और उनसे फूटने वाली नदियों की राहें बेहद शांत हैं, जिनका स्थान बदलने पर नाम बदल जाता है। जो रास्ता रोकने पर ये रौद्र रूप धारण करती हैं। देवभूमि की इन्हीं नदियों से पहाड़ में 5 प्रयाग बनते हैं।
कुमायूं के साथ दो प्रमुख भागों में बंटे गढ़वाल में बड़े ग्लेशियर हैं, जहां से नदियां निकल रही हैं। ऊंचाई के साथ ही तापमान की गिरावट से ग्लेशियर बनते हैं। प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री तापमान कम होता जाता है, जिससे पैदा होने वाली नमी पहाड़ों से टकराकर जम जाती। इस निरंतर प्रक्रिया से ग्लेशियर बनते हैं। इनकी बर्फ की निचली सतह से पिघलकर बहने वाले पानी की धारा नदियों में बदल जाती हैं।
पॉजिटिव- आज जीवन में कोई अप्रत्याशित बदलाव आएगा। उसे स्वीकारना आपके लिए भाग्योदय दायक रहेगा। परिवार से संबंधित किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार विमर्श में आपकी सलाह को विशेष सहमति दी जाएगी। नेगेटिव-...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.