केरल में विश्वविद्यालयों के कामकाज और कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। राज्यपाल कई दिनों से दिल्ली में हैं। मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्यपाल के दिल्ली सेे लौटने पर वे उनसे मिलेंगे और मतभेदों को सुलझाएंगे। लेकिन माकपा नेता राज्यपाल की ईमानदारी और निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैंं। सत्तारूढ़ पार्टी के शक्तिशाली राज्य सचिव कोडियेरी बालकृष्णन सहित माकपा नेता राज्यपाल के इस कदम के पीछे भाजपा के गुप्त राजनीतिक इरादों का आरोप लगा रहे हैं।
सीपीआई (एम) की छात्र शाखा एसएफआई ने मुख्यमंत्री से राज्यपाल से चांसलर पद लेने का आग्रह किया है। दूसरी तरफ, राज्यपाल खान की कट्टर आलोचक कांग्रेस ने इस मुद्दे पर उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया है। कांग्रेस नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा कि सीपीआई (एम) ने अहम पदों पर नेताओं के करीबी रिश्तेदारों को नियुक्त करके उच्च शिक्षा को बर्बाद कर दिया है।
राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान का कहना है कि उन्होंने कई मौकों पर राज्य सरकार के सामने अनियमितताओं का मुद्दा उठाया, लेकिन उनकी आपत्तियों को हर बार नजरअंदाज किया गया। हाल ही में, राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन किया, जिसने विश्वविद्यालय अपीलीय न्यायाधिकरण में नियुक्ति करने के लिए राज्यपाल के कुलपति के रूप में शक्ति को छीन लिया। राज्यपाल ने इन संशोधनों पर सवाल उठाया है क्योंकि, इससे राज्य सरकार को ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां करने की पूर्ण शक्ति मिलती है।
राज्य सरकार राज्यपाल की शक्तियां छीन रही है
राज्यपाल का आरोप है कि शंकराचार्य संस्कृत विवि के कुलपति को खोजने की प्रक्रिया में राज्य सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों को सीमित किया। कन्नूर विवि के कुलपति प्रो. गोपीनाथ रवींद्रन को नया कार्यकाल देने पर विवाद है। इस विवि का अधिनियम 60 से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति को कुलपति नियुक्त करने की अनुमति नहीं देता है।
इसी विवि में डॉ. प्रिया वर्गीस की एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर निुयक्ति को लेकर विवाद है। वे सीएम के निजी सचिव की पत्नी हैं। श्री नारायण गुरु मुक्त विवि के कुलपति प्रो मुबारक पाशा को नियुक्ति के एक साल बाद भी वेतन नहीं मिला है। राज्यपाल ने इस मसले को कई बार उठाया, पर शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया।
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