पूर्वी लद्दाख में सेनाओं की वापसी का फैसला जिस 9वें दौर की बैठक में हुआ, उसमें चीनी कमांडर के मुंह से यह बात फिसल गई कि अब मामला खत्म करते हैं। हम मानसिक और शारीरिक रूप से तंग आ गए हैं। बातचीत की बारीकियां जानने वाले सेना के एक सूत्र ने कहा कि भारतीय सेना के सामने ऐसी स्थिति नहीं थी और इसकी वजह सैनिकों को 100% फिट रखने के लिए अपनाई गई खास रणनीति थी।
पूर्वी लद्दाख में देपसांग से लेकर पैंगोंग त्सो के उत्तरी छोर और इसके दक्षिण में कैलाश रेंज की चोटियों पर भारतीय सेना ने दस महीने तक सैनिकों की तैनाती की। सेनाएं अब वहां से लौट रही हैं लेकिन मौजूदा ऑपरेशन कई अच्छे सबक देकर गया है।
पूरी रणनीति का खाका तैयार था
सेना के अधिकारियों ने बताया कि डॉक्टरों, फिजिशियनों, ट्रेनर्स और ग्राउंड कमांडरों ने इस पूरी रणनीति का खाका तैयार किया था और जीरो वेदर कैजुअल्टी का लक्ष्य तय किया था। इसे शत-प्रतिशत हासिल कर लिया गया। ऐसे मौसम की तैनाती में चुनौती ऑक्सीजन की कमी की थी। एक अधिकारी ने बताया कि सबसे अहम प्रोटोकॉल यह था कि स्वास्थ्य में 1% भी गिरावट होने पर सैनिक को कम ऊंचाई वाली चोटी पर लाया जाता था।
मौसम को हराने के लिए 4 हथियार
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