भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के मामले बढ़ने के बावजूद फिलहाल फुल लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं है। यह बात वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कही है। WHO के भारत में प्रतिनिधि रॉड्रिको एच. ऑफ्रिन का कहना है कि भारत जैसे देश में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए फुल लॉकडाउन लगाने और ट्रैवल बैन करने जैसे कदम नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि महामारी से लड़ने के लिए रिस्क के हिसाब से बैन लगाने की स्ट्रैटजी बनानी चाहिए।
चार सवालों से तय हो एक्शन प्लान
ऑफ्रिन ने इस बात पर जोर दिया कि जान और रोजगार, दोनों ही बचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत और दुनियाभर में पब्लिक हेल्थ एक्शन तय करने के लिए चार सवालों के जवाब जानने चाहिए। ये चार सवाल हैं-
फुल लॉकडाउन जैसे उपायों के फायदे कम, नुकसान ज्यादा
ऑफ्रिन ने बताया कि WHO पूरी तरह से ट्रैवल बैन लगाने या लोगों का मूवमेंट रोकने का सुझाव नहीं देता है। ऐसे बैन लगाने से फायदे से ज्यादा नुकसान होता है। भारत जैसे देश में जहां आबादी के बंटवारे में इतनी विविधता है, वहां महामारी से लड़ने के लिए रिस्क-बेस्ड अप्रोच को फॉलो करना समझदारी लगती है।
मौजूदा हालातों, हेल्थ सेक्टर की क्षमताओं और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए सरकार को महामारी रोकने के लिए उपाय तैयार करने चाहिए। अगर सभी नियमों का पालन किया जाएगा तो लॉकडाउन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
मास्क लगाने और वैक्सीन कवरेज बढ़ाने जैसे उपाय असरदार
ऑफ्रिन ने कहा कि अभी जो हालात हैं, उसमें मौजूदा टूल्स और उपाय असरदार साबित हो रहे हैं। वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ाने, मास्क का इस्तेमाल करने, हाथों का हाइजीन और फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, इनडोर स्पेस को वेंटिलेट करने और भीड़ में नहीं जाने से संक्रमण की चेन को तोड़ने में मदद मिलती है। अगर इन सबका पालन हो रहा है तो लॉकडाउन जरूरी नहीं है।
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