नई दिल्ली. इंडियन एयरफोर्स पूरी तरह से देश में बने हल्के फाइटर प्लेन तेजस में बड़े बदलाव लाएगी। अभी सिर्फ एक तेजस एयरफोर्स में है। लेकिन 43 तरह के बदलाव के बाद 100 नए तेजस फाइटर प्लेन एयरफोर्स में शामिल होंगे। इन बदलावों का मकसद होगा तेजस को पाकिस्तान के JF-17 Thunder को एक झटके में तबाह करने लायक बनाना। बता दें कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने देश में यह पहला सुपरसोनिक फाइटर प्लेन तैयार किया है। अभी यह कॉम्बैट मिशन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। यही वजह है कि इसमें बदलाव करने का फैसला लिया गया है।
तेजस में क्या होंगे बदलाव?
- तेजस को AESA (active electronically scanned array) रडार के साथ जोड़ा जाएगा।
- रडार के अलावा मिड एयर रिफ्यूलिंग कैपेसिटी होगी।
- एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वेपंस सिस्टम शामिल किया जाएगा।
- सिंगल इंजन फाइटर के लिए 43 बदलाव होंगे और 57 खामियां दूर की जाएंगी।
- बदलावों के बाद यह एक बार उड़ान भरने के एक घंटे के अंदर ही लैंडिंग और टेकऑफ करने लायक होगा।
चीन और पाकिस्तान के एयरक्राफ्ट्स के मुकाबले कितना अलग होगा तेजस
पाकिस्तान के पास अभी सबसे एडवांस्ड फाइटर प्लेन जेएफ-17 थंडर है। इसे पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। वहीं, चीन के पास जेएफ-17 तो है ही, वह रूस से सुखोई-27 विमान खरीदकर भी अपनी ताकत बढ़ा रहा है। भारत के मौजूदा मिग विमानों की तुलना में जेएफ-17 और सुखोई-27 काफी नए हैं। इसलिए तेसज को जल्द लाने की कोशिश हो रही है।
भारत का तेजस अभी | बदलाव के बाद तेजस से उम्मीद | पाकिस्तान का जेएफ-17 | चीन का सुखोई-27 |
किसने बनाया | भारत | भारत ही बनाएगा | पाकिस्तान-चीन | रूस |
मैक्जिमम स्पीड | 1920 किलोमीटर/घंटा | 2200 किलोमीटर/घंटा | 1900 किलोमीटर/घंटा | 2500 किलोमीटर/घंटा |
एक बार में रेंज | 850 किलोमीटर | 3200 किलोमीटर | 3400 किलोमीटर | 3500 किलोमीटर |
मिसाइलें | 2 क्लोज कॉम्बैट, 2 लॉन्ग रेंज मिसाइलें | 8 एयर टु एयर, एयर टु सरफेस क्रूज मिसाइलें | 5 क्रूज मिसाइलें | 5 क्रूज मिसाइलें |
कीमत | 200 करोड़ रुपए | 300 करोड़ रुपए | 180 करोड़ रुपए | 360 करोड़ रुपए |
कुल कितने तेजस का ऑर्डर?
- पहला तेजस जनवरी 2015 में ही एयरफोर्स में शामिल हुआ था।
- एयरफोर्स ने 20 तेजस के ऑर्डर पहले से दिए हैं।
- इनमें से 4 तेजस की पहली स्क्वॉड्रन 2016 में तैयार हो जाएगी।
- बड़े बदलावों के बाद एयरफोर्स में 100 नए तेजस को शामिल करने की प्रॉसेस 2018 से शुरू होगी।
- 2026 तक उम्मीद है कि तेजस एयरफोर्स की सबसे बड़ी ताकत बन जाएंगे।
तेजस का सफर
>अगस्त 1983 में एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 560 करोड़ रुपए थी।
>इस फाइटर प्लेन का नाम तेजस 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
>दिसंबर 2009 में गोवा में टेस्ट फ्लाइट के दौरान तेजस ने प्रति घंटे 1,350 किलोमीटर से ज्यादा की स्पीड के साथ उड़ान भरी थी।
>जनवरी 2011 में इसे पहली बार मल्टी रोल और फाइटर परपज में लाने की बात हुई।
>दिसंबर 2013 में सिंगल इंजन वाले तेजस को शुरुआती ऑपरेशनल क्लियरेंस मिली।
>2015 में पहला तेजस एयरफोर्स में शामिल।
तेजस मार्क-2 भी लाने की तैयारी
2026 तक जो तेजस फाइटर प्लेन होंगे वो मार्क-2 कैटेगरी के होंगे। मार्क-2 में और पावरफुल इंजन होगा। प्रपोज्ड तेजस मार्क-2 शुरुआत में नेवी में सर्विस देगा। प्लानिंग यह है कि अब सीधे दो इंजन वाला एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट देश में ही डेवलप किया जाएगा।
भारत को जरूरत क्यों?
एयरफोर्स के लड़ाकू विमान मिग-23 और मिग -27 फेज आउट होने की प्रॉसेस में हैं। मिग-21 आखिरी सांसें गिन रहा है। चीन और पाकिस्तान के निपटने के लिए भारत को 45 फाइटर जेट के बेड़े की तुरंत जरूरत है। जबकि भारत के पास फिलहाल 35 से भी कम बेड़े हैं। इनमें से भी सिर्फ 60 फीसदी ही ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। यही कमी तेजस से पूरी होने की उम्मीद है।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें: तेजस, पाकिस्तान के एफ-17 और चीन के सुखोई में कितना है फर्क?