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मशरूम से इन्होंने बदल दी 5 हजार किसानों की जिंदगी, कमाते हैं 4 लाख सलाना

7 वर्ष पहले
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पटना. मशरूम की खेती ने गरीबों और बेरोजगारी की मार झेल रहे जमुई के मोहन केसरी की जिंदगी ही नहीं बदली, बल्कि नक्सली क्षेत्रों के सैकड़ों हाथ बंदूक की तरफ मुड़ने से रुक गए। मोहन जमुई के साथ ही राज्य के अन्य जिलों के किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देते हैं। पांच हजार से अधिक किसानों को मशरूम उत्पादन से प्रतिमाह 2 से 5 हजार रुपए तक आय होने लगी है।
कुपोषण से बचाने में मिली सफलता...
साथ ही बड़ी आबादी को कुपोषण से बचाने में सफलता मिल रही है। दलित और आदिवासी परिवार की महिलाएं मशरूम उत्पादन कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। जमुई गिद्धौर के गुगुलडीह के 41 वर्षीय मोहन 2008 से ही मशरूम उत्पादन कर रहे हैं। इन्होंने 2010 में मशरूम बीज उत्पादन का प्रशिक्षण राजेंद्र कृषि विवि पूसा में कृषि वैज्ञानिक डॉ. दयाराम से लिया। तब पूरे राज्य के 10 चुने हुए मशरूम उत्पादक किसानों को यहां प्रशिक्षण दिया गया था।
इनमें सबसे बेहतर काम करने वाले मोहन को नाबार्ड ने मशरूम बीज उत्पादन यूनिट स्थापित करने के लिए सहायता दी। 12 लाख रुपए की लागत से बीज उत्पादन यूनिट लगाया। अब वे किसानों को प्रशिक्षण के साथ सस्ती दर पर बीज भी उपलब्ध करा रहे हैं।

100 बैग से 10-12 हजार की होती है कमाई
महिला स्वयं सहायता समूह, कृषक समूह और जेएलजी (ज्वाइंट लाइवलीहुड ग्रुप) के सदस्यों को प्रशिक्षण देकर मोहन जीने का रास्ता दिखा रहे हैं। स्थानीय बाजार के साथ ही झारखंड के देवघर और अन्य शहरों में यहां से उत्पादित मशरूम भेजा जाता है। भूसा भर कर तैयार किए गए प्लास्टिक के बैग में मशरूम के बीज डालकर कोई भी दो-तीन दिनों पर 200 से 300 ग्राम मशरूम उगा सकता है। घर में ही बैग लटका कर रखा जा सकता है। इसमें धूप की जरूरत नहीं होती है। एक बैग लगाने में लागत 40 से 45 रुपए आता है। 100 बैग लगाने पर कोई भी परिवार 10 से 12 हजार रुपए महीने कमा सकता है।

कुपोषित बच्चों की संख्या में आई कमी
मोहन को मशरूम और बीज उत्पादन से सालाना तीन से चार लाख रुपए की आय होती है। प्रशिक्षण लेने छोटे स्तर पर मशरूम उगाने वालों को भी 2 से 5 हजार रुपए तक प्रतिमाह की आय हो रही है। सबसे बड़ी बात है कि घर में प्रोटीन और पौष्टिकता से भरपूर मशरूम खाने को मिल जाता है। इससे बच्चों का कुपोषण थम रहा है।
हृदय रोग में भी लाभकारी
- कुपोषण दूर करने में सहायक
- प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है
- डायबिटीज और गेस्ट्रिक के रोगियों के लिए लाभदायक
- कैंसर से बचाव की क्षमता
- मशरूम में कोलेस्ट्रोल नहीं रहता है
- इसमें विटामिन डी व बी कॉम्पलेक्स की प्रचुर मात्रा होती है
- हड्डियां होती हैं मजबूत, सेवन से हृदय रोग से बचाव
तीन प्रकार का होता है मशरूम
ओइस्टर मशरूम : इस मशरूम को 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उगाया जा सकता है।
बटन मशरूम : इसका उत्पादन 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होता है। यानी नवंबर से फरवरी तक इसका उत्पादन लिया जा सकता है।
गरमा या दुधिया मशरूम : 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसका उत्पादन होता है। गर्मी के दिनों में इस मशरूम का उत्पादन लाभदायक होता है।
ओइस्टर से महंगा है बटन
ओइस्टर मशरूम 100 से 110 रुपए किलो मिलता है। बटन मशरूम 150 से 170 रुपए किलो मिलता है। मशरूम बीज की कीमत अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग है। जमुई में 80 से 90 रुपए प्रति किलो बीज मिलता है। वहीं पटना और अन्य इलाकों में करीब 150 रुपए प्रति किलो मिलता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर दयाराम ने बताया कि मोहन में सीखने और कुछ बेहतर करने की ललक थी। मशरूम बीज उत्पादन का प्रशिक्षण लेने के दौरान ही हमने तय किया कि इसे आगे बढ़ाने में पूरी सहायता दी जाए। नाबार्ड ने सहायता दी। जब भी तकनीकी जरूरत होती है, हम लोग उपलब्ध कराते हैं। अब तो वह पूरी तरह साइंटिफिक तरीके से बीज उत्पादन कर लोगों को सस्ती दर पर उपलब्ध करा रहा है। साथ ही सरल तरीके से किसानों और महिला समूहों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहे हैं। हर क्षेत्र में ऐसे मोहन की जरूरत है।