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25 हजार की आबादी का रास्ता रेलवे ने रोका, अफसर अपने रुख पर अड़े
रेलवे लोको खोली के पीछे ग्राम पंचायत की हजारों की आबादी तक पहुंचने का रास्ता रेलवे ने बंद कर दिया है। लगभग 100 साल पुराना रास्ता जिसका लोग उपयोग कर रहे थे, बंद होने से सैकडो़ं परिवारों के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई है। डीआरएम किसी की सुनने को तैयार नहीं है न ही रेलवे की कोई प्लानिंग बस्ती वालों को रास्ता देने की है।
रेलवे लोको खोली के पीछे सिरगिट्टी बस्ती, नया पारा, कीर्तिनगर, फोकटपारा और दैहान चौक के आसपास की आबादी 25 हजार से अधिक है। इतनी आबादी के लोग वर्षों से रेलवे की जमीन से ही रास्ता बनाकर अाना जाना कर रहे थे। जिस 20 एकड़ जमीन पर से रास्ता था उस जमीन पर इलेक्ट्रिक लोको शेड बन रहा है। यह एकमात्र रास्ता है जहां से संबंधित क्षेत्र के लोगों का आना जाना है। इस रास्ते से रेलवे स्टेशन नजदीक है। रेलवे के 30 प्रतिशत कर्मचारी इसी रास्ते से ड्यूटी जाते हैं, हास्पिटल, स्कूल, बाजार जाने का यही एकमात्र रास्ता है। पिछले दिनों एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो गया था उसे लेने एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकी। इन मोहल्लों में पहुंचने का रास्ता तो है लेकिन काफी घुमावदार और लगभग 4 से 5 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। रास्ता बंद करने के निर्णय से लोगों की परेशानियां बढ़ जाएगी। समस्या को लेकर भरत मिश्रा, राजेश पांडेय, पवन छाबड़ा, आनंद पाठक, सोमनाथ पांडेय सहित अन्य लोग अपर कलेक्टर से मिले और निस्तारी रास्ते की समस्या दूर करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि वे कई बार परेशानी बताने के बाद इसे दूर करने रेलवे के अफसर पहल नहीं कर रहे।
सिरगिट्टी, नया पारा, कीर्तिनगर, फोकटपारा के लोग रास्ता बंद होने से परेशान हैं।
रेलवे की जमीन से रास्ता कैसे देंगे
रेलवे की जमीन पर इलेक्ट्रिक लोको शेड बनाने का काम चल रहा है। उसके लिए जितनी जमीन की आवश्यकता है उसके अनुसार ही बाउंड्रीवाल कराई जा रही है। रेलवे की जमीन पर अगर किसी ने रास्ता बना लिया था इसका मतलब ये नहीं कि उनके लिए रास्ता छोड़ दिया जाए। रेलवे की ऐसी कोई प्लानिंग नहीं है कि लोको शेड वाली जमीन के पीछे से मोहल्ले वालों को रास्ता दिया जाए। -रश्मि गौतम, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल