कोरकट्टा गांव : पीरियड के दौरान महिलाएं घर से बेदखल, रहना-खाना गांव से बाहर अलग झोपड़ी में
धुर नक्सल क्षेत्र मानपुर ब्लाक के सीतागांव व मदनवाड़ा के बीच में बसा कोरकट्टा गांव। राजनांदगांव मुख्यालय से दूरी 110 किमी। यहां की परंपरा महिलाओं की आजादी को शर्मसार कर रही है। गांव की महिलाएं और बच्चियों को मासिक धर्म (पीरियड्स) आने पर उनको अपना घर छोड़ना पड़ता है। इनके रहने के लिए गांव में ही अलग से झोपड़ी बनाई गई है। जहां पर ही उन्हें पीरियड्स की समाप्ति तक रहना पड़ता है। खाने के लिए इन्हें यहीं पर सामान दिया जाता है।
गांव के पवन पटेल ने बताया कि कुल देवी नाराज न हों इसलिए गांव में एेसा किया जाता है। गांव में साक्षरता का प्रतिशत 30% है। वह भी इसलिए क्योंकि स्कूल खुलने के बाद बच्चे पढ़ने लगे हैं। लेकिन महिलाओं की पढ़ाई का स्तर बेहद खराब है। गांव में हेल्थ अवेयरनेस की बेहद कमी है।
ये स्वास्थ्य के लिए आवश्यक प्रक्रिया है
यह गांववालों का अंधविश्वास है, महिलाओं के लिए मासिक धर्म एक आवश्यकता है। स्वास्थ्य के लिए भी यह जरूरी है। इसकी जानकारी नहीं थी इसलिए महिलाओं को अलग-थलग रखा जाता था। पर अब ऐसा नहीं है। डॉ. दिनेश मिश्र, अध्यक्ष, अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति
ये एक नार्मल प्रक्रिया है, संक्रमण नहीं होता
पीरियड्स आना नार्मल प्रक्रिया है, इससे संक्रमण नहीं फैलता है। पुराने समय में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान आराम देने के लिए ऐसी मान्यता थी। जिससे उनको आराम मिल सके। गांववालों को इसे तोड़ना चाहिए। डॉ. रेखा गुप्ता, गाइक्नोलॉजिस्ट
कलेक्टर ने कहा- उन्हें इसकी जानकारी नहीं
गांववालों को खुद नहीं पता कि ये गलत
कोरकट्टा गांव में पीरियड्स के समय महिलाओं को इसी घर (लाल घेरे में) रहना पड़ता है। चार दिन तक यहीं महिलाओं को नहाना, खाना और सोना पड़ता है। हर जरूरत तभी पूरी होती है जब कोई आकर पूरा करता है।
राजनांदगांव के कलेक्टर मुकेश बंसल से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। आप के माध्यम से जानकारी मिली है। गांव में महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजकर जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट देख कुछ बता पाऊंगा।
कोरकट्टा गांव की महिलाओं ने भास्कर की टीम को बताया कि ऐसा करना अटपटा लगता है लेकिन गांव की कुल देवी को बचाने तथा श्रद्धा के लिए हम ऐसा करते हैं। इस नियम को तोड़ने पर कुल देवी नाराज होंगी। इसलिए इसको मानना बहुत जरूरी है। कहा कि इसका पालन करना गलत नहीं है।
सबके नहाने के बाद देते हैं पानी
गांव के ध्रुव कुमार पोटावी ने बताया कि गांववालों को नहाने के बाद महिलाओं को कुएं से पानी निकालकर नहाने के लिए दिया जाता है। महिलाओं को नाबालिग युवक या युवती नहाने के लिए पानी देते हैं। इसके बाद ये महिलाएं नहाती हैं।
बाउंड्री से बाहर नहीं जा सकते
गांव तीन पारा में बंटा है। तीनों पारा में दूरी अधिक होने से पीरियड्स आने पर महिलाओं के लिए तीन अलग-अलग झोपड़ी बनाई गई है। पीरियड्स के समय महिलांए इसी घर में रहती हैं। चार दिन तक वहीं रहना पड़ता है। नाबालिग युवक या युवती वहां जाकर दोनों समय खाना बनाने के लिए राशन देते हैं।
कोरकट्टा गांव में 50 घर हैं। यह गांव 3 पारा में है। ऐसी झोपड़ी हर पारा में बनी है। जहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं व युवतियों को रखा जाता है। फोटो: अजीत सिंह भाटिया
ये कैसी
आजादी