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आदर्श है सुदामा कृष्ण की मित्रता: आचार्य रमेश मिश्र
सुदामाऔर कृष्ण की मित्रता समाज के लिए आदर्श है। सुदामा और राजा कृष्ण की मित्रता वास्तविक राम राज का उदाहरण है। ये विचार कथा व्यास आचार्य रमेश मिश्र ने कमला भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि सुदामा बचपन से ही कृष्ण के मित्र थे लेकिन समय व्यतीत होने के साथ कृष्ण द्वारका के राजा बन गए और सुदामा गरीब ही रह गया। सुदामा की प|ी कहती है कि वो कृष्ण के पास जाकर कुछ मांग कर ले आए, जिससे कि उनका जीवन भी आसानी से व्यतीत हो सके।
सुदामा कृष्ण के पास कुछ चावल लेकर जाता है। कृष्ण सुदामा का बहुत आदर सत्कार करता है। लेकिन उसे बिना कुछ दिए ही भेज देता है। सुदामा जब अपने घर वापस आता है तो उसे महल दिखाई देता है। कृष्ण अपनी मित्रता निभाते हुए उसे काफी धन दौलत देते हैं।
आचार्य मिश्र ने राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत की कथा सुनकर परीक्षित के मन से सारा मोह नष्ट हो गया। भागवत की कथा सुनकर परीक्षित मोक्ष को प्राप्त करता है। भागवत विश्व का सबसे अदभुत ग्रंथ है। इस अवसर पर आचार्य मदन सिंह, देवी प्रसाद गर्ग, बाबूलाल गर्ग, राजेद्र प्रसाद गर्ग, मामन चंद्र गर्ग, सुरेंद्र कुमार, मनोज कुमार, वेद प्रकाश सहित अनेक उपस्थित थे।