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मारीच बना स्वर्ण मृग, रावण ने किया सीता हरण

9 वर्ष पहले
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नरवाना | श्रीरामा भारतीय कला केंद्र के मंच पर सीता हरण के दृश्य ने दर्शकों को जहां एक ओर रोमांचित कर दिया वहीं सीता की वेदना रावण की क्रूरता का वर्णन भी देखने को मिला। सर्वप्रथम मारीच स्वर्ण मृग बनकर पंचवटी में पहुंचता है। माता सीता नारी हठ का प्रदर्शन करते हुए श्रीराम को स्वर्ग मृग पकड़कर लाने को कहती है।

लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा में लगाकर श्रीराम स्वर्ण मृग के पीछे चले जाते है, परंतु मायावी आवाज सुन माता सीता लक्ष्मण को श्रीराम की सहायता के लिए भेज देती है। पीछे से रावण सीता का हरण कर लेता है। उसके बाद वियोग में भटकते हुए श्रीराम की मुलाकात जटायु और शबरी से होती है। अंत में हनुमान के माध्यम से उनकी मित्रता महाराज सुग्रीव से होती है। दोनों की एक दूसरे की मदद का आश्वासन देते है। रामलीला कमेटी के प्रेस प्रवक्ता शैलेंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि रामलीला के मुख्य अतिथि खजांची लाल, डायरेक्टर दीनानाथ मेमोरियल कॉन्वेंट स्कूल तेजवंत ठेकेदार क्लास वन कॉन्ट्रेक्टर रहे।

इस अवसर संजय चौधरी, राजेंद्र लोहे वाले, बिन्नू बंसल उपस्थित रहे। कल लंका दहन लीला का मुख्य आकर्षण रहेगा। प्रधान भारतभूषण गर्ग की अध्यक्षता में अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

नरवाना. सीताकी सुरक्षा के लिए रेखा लगाते लक्ष्मण।