बरकरार रहेगी ट्रैवल बैन ऑर्डर लगी रोक, अपील कोर्ट ने ट्रम्प की पिटीशन को खारिज की

6 वर्ष पहले
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वॉशिंगटन.   अमेरिका की फेडरल अपील कोर्ट से भी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को झटका लगा है। उनके ट्रैवल बैन के ऑर्डर पर रोक लगाने के सिएटल कोर्ट के फैसले को इस कोर्ट ने बरकरार रखा है। बता दें कि ट्रम्प ने 27 जनवरी को विवादित एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकालकर 7 मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में एंट्री पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा- सबूत तो दें... 
 
 
- फेडरल अपील कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई में कहा कि इन 7 मुस्लिम देशों से खतरे के क्या सबूत हैं? आप कुछ तो बताएं? 
- कोर्ट यूएस एडमिनिस्ट्रेशन की दलील से संतुष्ट नहीं दिखा। कोर्ट ने कहा- "हमारा मानना है कि यूएस एडमिनिस्ट्रेशन ने यह साबित नहीं किया कि उनकी अपील में दम है और न ही यह साबित किया है कि रोक नहीं हटाने से बड़ा नुकसान होगा।" 
- फैसले के बाद ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा- "अदालत में मिलेंगे, हमारे देश की सिक्युरिटी खतरे में है।"  
- इस फैसले को तीन जजों की बेंच ने सुनाया। इनमें दो जज डेमोक्रेटिक और एक जज रिपब्लिकन हैं। बेंच ने यह फैसला 3-0 की सहमति से दिया है। 
- बता दें कि ट्रैवल बैन ऑर्डर का दुनियाभर में विरोध हो रहा है। 
 
ट्रम्प की क्या दलील है? 
- इससे पहले, ट्रम्प ने अपने विवादास्पद ऑर्डर का बचाव करते हुए कहा था कि विदेशियों के अमेरिका आने पर बैन लगाने का उन्हें कानूनी अधिकार है। 
 
क्या था ट्रम्प का ऑर्डर?
- ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में कहा गया था कि इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से कोई भी शख्स 90 दिनों तक अमेरिका नहीं आ सकेंगे। 
- इस ट्रैवल बैन को अमेरिका की सिएटल फेडरल कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया था। 
- कोर्ट के ऑर्डर को ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने फेडरल अपील कोर्ट चुनौती दी थी। 
 
इमिग्रेंट्स की सिचुएशन
- अमेरिका में 4.3 करोड़ इमिग्रेंट्स हैं। इनमें से 1.11 करोड़ अवैध हैं। ट्रम्प को इन्हें निकालने में लगेंगे 20 साल।
- अमेरिकी जीडीपी को सालाना 282 लाख करोड़ रुपए देते हैं इमिग्रेंट्स, भारत की इकोनॉमी का दोगुना।
- इमिग्रेंट्स की 44 स्टार्टअप में से 14 भारतीयों ने शुरू की। 
- अमेरिका में 100 करोड़ डॉलर (6722 करोड़ रुपए) से ज्यादा वैल्युएशन वाली स्टार्टअप शुरू करने वाले इमिग्रेंट्स में भारतीय सबसे आगे हैं। 
- 1.5 लाख करोड़ के 11 स्टार्टअप भारतीयों के। चीन से पांच गुना ज्यादा स्टार्टअप भारतीयों के।
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