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शरीर की शुद्धता के लिए तप सर्वश्रेष्ठ माध्यम
जैनधर्मावलंबियों का दस दिनों के दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म पूजा की गई। सोमवार को मेन रोड के श्री दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलाचरण और स्तुति के बाद उत्तम तप धर्म पूजा की गई। प्रथम जलाभिषेक का सौभाग्य विनय कुमार जैन और उनके परिवार वालों को मिला।
वहीं, शांतिधारा मंगीलाल चूड़ीवाल, मनोज चूड़ीवाल,अशोक चूड़ीवाल,अरुण चूड़ीवाल और उनके परिवार वालों ने किया। संध्या आरती के बाद शास्त्र संबोधन किया गया। इसमें, बताया गया कि बहिरंग तप में शरीर को प्रमाद से दूर रखने के लिए छह तप है। अनशन, अनीदर, व्रतपरिख्यातन, रसत्याग, विविक्तशयनासन, कायक्लेश और अन्तरंग तप में प्रायश्चित, विनय, वैयावृत्ति, स्वाध्याय,त्युत्सर्ग, ध्यान है। शास्त्रों में वार्णित बारह तरह के तप से मानव अपने तन मन जीवन को शुद्ध करता है। उसके समस्त जन्मों के कर्म कष्ट दूर हो जाते हैं। दशलक्षण पर्व जीवन को अनुशासित करने के साथ पुण्य के खजाने को भरने का अवसर प्रदान करता है। मोक्ष मार्ग का वास्तविक अनुभव करने का पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व सुंदर अवसर है। गुरु के दरबार में दुनिया बदल जाती है। रहमत से हाथ की लकीर बदल जाती है। जो गुरुदेव का नाम दिल से लेता है, उसकी एक पल में तकदीर बदल जाती है। धार्मिक कार्यक्रम के दौरान जैन समाज अध्यक्ष रमेश कुमार सेठी ने जैन युवा महासंघ के अध्यक्ष राजेंद्र चूड़ीवाल एंड टीम और समाज के सभी सदस्यों को अर्थिक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
दशलक्षण महापर्व पर जलाभिषेक करते जैन धर्मावलंबी।
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