प्रत्येक मास की दोनों त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है, इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। इस बार प्रदोष व्रत 29 जुलाई, बुधवार को है। सूतजी के अनुसार बुध प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बुध प्रदोष व्रत के पालन के लिए विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है।
व्रत विधि
प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें।
शिवजी की षोडशोपचार (16 सामग्रियों से) पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जाप करें। रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती (व्रत करने वाला) को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती (व्रत करने वाला) को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।