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नसबंदी के बाद भी ठहरा गर्भ, बच्ची को दिया जन्म
जनवरी 2016 में महिला के परिजन ने कराई थी गोरमी अस्पताल में नसबंदी, सीएमएचओ बोले मुझे जानकारी नहीं है
एक तरफ भारत सरकार देश में आबादी को रोकने के लिये कई कदम उठा रही है। परिवार नियोजन प्रोग्राम में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का पुर जोर प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकारी अमले की लापरवाही उसमें पलीता लगा रही है। बच्चों के जन्म में अंतर रखने और सीमित परिवार के लिए सबसे प्रभावी विधि महिला नसबंदी मानी जाती है। फिर भी नसबंदी फेल होने के के मामले जिले में लगातार सामने आ रहे है।
ताजा मामला गोरमी क्षेत्र के ग्राम बक्सी पुरा में रहने वाली इल्ला(28) प|ी प्रमोद सिंह नरवरिया का है। महिला की नसबंदी होने के बाद भी उसने सोमवार रात को एक बच्ची को जन्म दिया। परिजन ने इल्ला की नसबंदी 16 जनवरी 2016 को गोरमी के सरकारी अस्पताल में कराई थी। नसबंदी ऑपरेशन होने के बावजूद भी गर्भ ठहर गया। गर्भ का पता चलने पर परिजन ने तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राकेश शर्मा से शिकायत शिकायत दर्ज कराई और मुआवजे की मांग की, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
चार संतान पहले से हैं
प्रमोद सिंह नरवरिया के मुताबिक वह दूसरे के खेतों में मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन करता है। लगभग 10 साल पहले उसकी शादी इल्ला से हुई थी। परिवार में पहले से चार संतान है। जिसमें बेटी रीतू (12), संगीता (8), सत्यम (6), प्राची (3) के जन्म के बाद परिवार सीमित रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर 16 जनवरी 2016 को प|ी का ऑपरेशन डॉ. धर्मेंद्र किरार से करवा दिया था। जनवरी 2016 महीने के आखिर में प|ी को उल्टी होने की शिकायत होने पर जांच करायी तो पता चला कि वह गर्भवती है। वहीं नसबंदी ऑपरेशन फेल होने की शिकायत और संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए मैंने सीएमएचओ कार्यालय के कई चक्कर लगाए। लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। इसके अलावा शासन की ओर से नसबंदी ऑपरेशन फेल होने पर मिलने वाली आर्थिक सहायता भी नहीं मिली।
जिला अस्पताल में नवजात को गोद में लेकर बैठी महिला।
मुझे जानकारी नहीं है
इस मामले के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। क्योंकि यह नसबंदी फेल मेरे समय का नहीं है, फिर भी मैं पता करता हूं। जेआर त्रिवेदिया, सीएमएचओ, भिंड
ऑपरेशन फेल