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तप कर पावन बन जाता है मानव : भैय्याजी
मिट्टी, अग्नि में तप कर जिस तरह घड़ा बनकर शिरोधार्य हो जाती है, उसी तरह तप से जीव नर से नारायण, भील से भगवान एवं पशु से परमात्मा बन जाता है। मानव भी तप करके पावन बन जाता है। उक्त उदगार पर्युषण पर स्थानीय दिगम्बर जैन लाल मंदिर में हुई धर्म सभा में भैय्याजी ऋषभ शास्त्री जी ने व्यक्त किए। उन्होंने उत्तम तप पर अपने विचार रखते हुए कहा पर्युषण पर्व को त्याग का फल कहा जा सकता है। इस अवसर श्रावक-श्राविका अपने तपोबल से संसार के अनन्त जीव के कल्याण की कामना करता है। जीवन में अगर तप किया है तो उसका समाधिमरण हो सकता है। भगवान महावीर ने तप किया तो उन्होंने परमात्मा पद प्राप्त किया।
उत्तम तप धर्म की हुई पूजा
मंदिर में दश लक्षण धर्म विधान की रचना कर पूजा की जा रही है। सातवें दिन सोमवार को उत्तम तप धर्म की पूजा की गई। श्रीजी का अभिषेक हुआ। शांतिधारा का पुण्य लाभ छगनलाल संजय बजाज तथा श्रीजी की आरती का अवसर उषा छगनलाल बजाज परिवार एवं सौ धर्म इंद्र, इंद्राणी का सौभाग्य संध्या संजय बजाज परिवार को मिला।
नाटिका में दिया ठगों से दूर रहने का संदेश
अभा महिला परिषद एवं जैन नवयुवक मंडल के तत्वाधान में देर रात जैन धर्मशाला में बच्चों ने लघु नाटिका प्रस्तुत की। इसमें बच्चों ने जीवन में चार ठग के रूप में रहने वाले क्रोध, मान, माया और लोभ को दर्शकों के बीच रखा। करीब पंद्रह मिनट की नाटिका में बच्चों ने चारों ठगों के दुष्परिणाम बताए और इनसे दूर रहने का संदेश दिया। नाटिका में अचल जैन ने सेठ के पुत्र, संस्कार जैन ने राजा राजा, सार्थक जैन, वाचना जैन, अवि जैन सहित अन्य ने ठगों के किरदार निभाया।
फोटो 16 हरदा। लघु नाटिका का मंचन करते हुए बच्चे।