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शहर के बेतरतीब हो रहे विकास को रोककर लागू कराएं मास्टर प्लान
कैसे संचालित हो रही बैंकें
शहर में अधिकांश पूंजीपतियों ने बैंक को व्यवसायिक इमारतें किराए पर दी है। भवन के निर्माण के दौरान इसके व्यवसायिक उपयोग का इरादा मालिक ने किया लेकिन इसके लिए आवश्यक पार्किंग व्यवस्था का ख्याल नहीं रखा गया। वर्तमान में शहर की आधा दर्जन बैंक ऐसी जगह संचालित हो रही हैं जहां आने वाले उपभोक्ताओं के वाहनों से यातायात प्रभावित होने लगा है। दुर्घटना के ग्राफ में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में सर्वप्रथम मुख्य मार्गों के चौड़ीकरण की ओर ध्यान देकर नागरिकों को नियमों के पालन के प्रति जवाबदेह बनाना होगा।
भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन ने दिलाया ध्यान
भास्कर संवाददाता | नागदा
शहर का विकास बेतरतीब ढंग से हो रहा है। यह स्थिति तब है जब मास्टर प्लान 2021 के प्रारूप का प्रकाशन 5 वर्ष पूर्व ही हो चुका है। बावजूद जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं होने से शहर की सड़कें तंग होती जा रही हैं। मुख्य मार्गों का चौड़ीकरण होने की बजाए अवैध निर्माण भविष्य के शहर पर ग्रहण लगा रहा है। ऐसे में मास्टर प्लान के अनुरूप शहर का विकास होना जरूरी हो गया है।
यह बात भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद के महासचिव सत्यनारायण उपाध्याय ने मीडिया से चर्चा में कही है। उन्होंने प्रदेश सरकार, कलेक्टर व नपा परिषद को लिखे पत्र के माध्यम से यह ध्यान भी दिलाया कि 1987 में ग्राम एवं निवेश विभाग के संयुक्त संचालक यू.पी.शाह ने शहर का निरीक्षण कर मास्टर प्लान के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। सुझावों पर प्लान के अनुरूप काफी कुछ सुधार तो शहर के विकास में हुए हैं। सब्जी मार्केट मुख्य मार्ग से हटकर कृष्णा जीनिंग में स्थापित किया गया है। रेलवे स्टेशन मार्ग व संकरे ओवरब्रिज को भी चौड़ा कर दिया है, लेकिन नए व्यवसायिक भवनों के निर्माण के दौरान पार्किंग व्यवस्था की अनदेखी ने शहर की सूरत ही बिगाड़ दी है।