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डोल ग्यारस: आलकी की पालकी, जय कन्हैया लाल
जिले में डोल ग्यारस का त्योहार सोमवार को धूमधाम से मनाया। भगवान के डोल निकले। भक्तों ने आलकी की पालकी, जय कन्हैया लाल की के नारे लगाए। डोल के नीचे से निकलकर लड्डू गोपाल का आशीर्वाद लिया। डोल परंपरागत तरीके से आकर्षक साज-सज्जा के साथ बैंड-बाजों, ढोल-ढमाकों की थाप पर निकले। इनमें बालाजी मंदिर, राम मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, कुशवाहा समाज, खंगार समाज, लोधी समाज ने डोल निकाले। नगर परिषद ने शुक्रवारा शंकर मंदिर प्रांगण में सामूहिक कार्यक्रम किया। इसमें सभी प्रमुख डोल पहुंचे। यहां भगवान की महाआरती कर प्रसाद बांटा। परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने वाले डोल के प्रमुख, प्रतिनिधियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम को देखने भारी संख्या में लोग शामिल हुए। इसके बाद डोल टिमरन पर पहुंचे। यहां आरती पूजा के बाद प्रमुख मंदिरों के डोल मंदिर परिसर में रखे। जहां देर रात तक दर्शन का दौर जारी रहा।
परंपरागत तरीके से निकले डोल
अबगावखुर्द में गांव में शाम 5 बजे गांव के सभी मंदिर के डोल चौक पर एकत्र हुए इसके बाद गांव के भ्रमण पर निकले। परंपरा के अनुसार गांव के हर एक मंदिर से एक डोल निकलता है। इसके बाद जाट मोहल्ले से गुर्जर मोहल्ला फिर मोती बाबा जाकर सुकनी नदी में स्नान कराया जाता है। इसके बाद डोल वापस मंदिर में आ जाते हैं। इसके बाद ग्रामीण उन्हें झूला देते हैं। हंडिया, सिराली, सोडलपु बालागांव, करताना, रहटगांव, मगरधा में गांव के भ्रमण पर डोल निकले। ग्रामीणों ने डोल का जगह-जगह स्वागत किया। पंडित बद्रीनाथ त्यागी ने बताया पर्व भगवान लड्डू गोपाल की लीलाओं का है। आरती के बाद प्रसाद बांटा।