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गैंडा सींग प्रकरण : जयपुर में तीन साल तक करते रहे पुरा वस्तुओं की तस्करी
क्राइम रिपोर्टर. जयपुर | दुर्लभवन्यजीवों के अंगों पुरातात्विक वस्तुओं की तस्करी करने वाला कोलकाता निवासी अनुराग तिवाड़ी जयपुर में 2013 से अड्डा बनाकर तस्करी करता रहा। जयपुर रेलवे स्टेशन पर 8 फरवरी 16 को गैंडे के सींग के साथ मनोज चौहान शंकर साव की गिरफ्तारी के बाद तस्करी का खुलासा हुआ था। गिरफ्तार दोनों आरोपियों के पास मोबाइल डायरी और अन्य दस्तावेज मिले थे। जीआरपी ने मोबाइल दस्तावेजों की एफएसएल से जांच करवाई। एफएसएल ने छह माह बाद जांच रिपोर्ट जीआरपी को सौंप दी।
जीआरपी के एसपी ओम प्रकाश ने बताया कि एफएसएल जांच में आरोपियों के 2013 से जयपुर में मोबाइल के उपयोग का कॉल रिकॉर्ड मिला है। जयपुर में रहते हुए आरोपी गोवा, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, पटना से चल रहे नेटवर्क के संपर्क में थे। गिरफ्तार मनोज शंकर मुख्य तस्कर अनुराग तिवाड़ी, गोवा के तस्कर सैयद डी कासिम और मुंबई के इनामी तस्कर जुनैद के लगातार संपर्क में थे। तीनों तस्कर मोबाइल पर ही मनोज शंकर को निर्देश देते थे। अनुराग तिवाड़ी, सैयद कासिम और जुनैद की अग्रिम जमानत की याचिकाएं हाईकोर्ट खारिज कर चुका है। जीआरपी तीनों की तलाश कर रही है।
आरोपियों ने अपने मोबाइल का अधिकतर उपयोग राजापार्क में बनाए गए गोदाम से किया था। उनके मोबाइल में पुरातात्विक वस्तुओं से संबंधित रुपयों का हवाला के माध्यम हुए लेन-देन करने के कई एसएमएस मिले हैं। गैंडे के सींग के रुपए सैयद कासिम के कहने पर अहमदाबाद से हवाला के माध्यम से दिए गए थे।
गिरफ्तार मनोज चौहान शंकर साव से मिली डायरी दस्तावेजों की राइटिंग की पुष्टि एफएसएल जांच रिपोर्ट में भी हो चुकी है। डायरी में अनुराग तिवाड़ी, जुनैद सैयद कासिम को भेजे गए काले हिरण के सींग, हाथी दांत की वस्तुएं, पुरातात्विक तस्करी की वस्तुएं और 57 लाख रु. का हिसाब मिला था। जयपुर के राजापार्क गोदाम से मिली मुगलकालीन तोप भी चालू हालत में होना पाई गई।