जोधपुर. शहर का जल प्रबंधन 500 साल पहले रियासत काल में भी दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता था। सन् 1520 में पद्मसर-रानीसर के निर्माण के साथ ही नहरी सिस्टम से जल स्रोतों को भरने का बेजोड़ मैकेनिज्म बनाया गया। परकोटे में दो किलोमीटर तक बसी आबादी को पानी पिलाने के लिए पहले बरसाती पानी को नहरों के माध्यम से जल स्रोतों तक लाया जाता। फिर एक जल स्रोत ओवरफ्लो होते ही बीच में बनी सब कैनाल से दूसरा स्वत: ही भर जाता। इसके बाद एक-एक कर कुएं व बावड़ियां भर जाती, जिससे पूरे शहर का पानी मिलता। वर्तमान में तमाम संसाधन लगा बचाने लगे 5 लाख लीटर पानी, फिर भी इससे दुगना बह जाता है व्यर्थ...
- वर्तमान में शहर के लिए 13 एमसीएफटी पानी हिमालय के पोंग बांध से पंजाब की इंदिरा गांधी मुख्य नहर से 800 किमी का सफर तय कर जोधपुर आता है।
- जोधपुर में ढाई लाख उपभोक्ताओं को बेहतर जलापूर्ति के लिए चौपासनी, झालामंड, कायलाना, सुरपुरा सहित चार बड़े फिल्टर प्लांट बने है। 90 हजार किमी एरिया में पाइप लाइनें बिछी हुई है।
- पानी की पाइप लाइनों के लीकेज को रोकने के लिए सब डिवीजन के अलावा तीनों डिवीजन में टीमें बनाई हुई है। टंकियाें का पानी भरकर व्यर्थ नहीं बहे, इसलिए टंकियों में माइक्रो चिप लगाई है। उन्हें एईएन व एक्सईएन के मोबाइल से कनेक्ट किया, ताकि टंकी ओवरफ्लो होने पर उनके मोबाइल पर मैसेज आ सके। इससे अभी तक पीएचईडी ने करीब पांच लाख लीटर पानी प्रतिदिन बचाना शुरू कर दिया है।
- फिर भी शहर में जगह-जगह लीकेज और सीपेज के कारण राेजाना दस लाख लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है।
मैनेजमेंट : तीन अरहट से मेहरानगढ़ के विभिन्न हिस्साें में पहुंचाया जाता था पानी
परकोटे के भीतर बनाए जलाशयों से मेहरानगढ़ दुर्ग तक पानी पहुंचाने के लिए पुख्ता प्रबंधन था। मेहरानगढ़ की बुर्ज पर बने तीन अरहट के जरिए रानीसर में से पानी खींचा जाता था। एक अरहट से दरबार के महल, दूसरे से जनाना महलों व तीसरे से किले के मुलाजिमों के लिए पानी खींचा जाता था।
शुद्धता : फतेहपोल से जूनी मंडी तक 500 मीटर में ही 9 कुएं, आज भी वैद्य देते हैं इनके पानी के सेवन की सलाह
परकोटे में फतेहपोल से जूनी मंडी तक 9 कुएं, दो तालाब व एक बावड़ी से आज भी शहरवासियों की प्यास बुझती है। कुओं का पानी तो इतना शुद्ध है कि कई बुजुर्ग इसी का उपयोग करते हैं। वैद्य चांद बावड़ी स्थित जैता बेरे का पानी बीमारी में भी पीने की सलाह देते हैं।
पानी की बर्बादी रोकने के लिए अब यह होगा
- तखतसागर पर 90 एमएलडी का नया फिल्टर प्लांट बनेगा।
- अमृत योजना के तहत 10 करोड़ की लागत से घरों में पुराने मीटर, पंपिंग स्टेशन पर पुराने पंप व पाइप लाइनों को बदलने का काम होगा।
- एएफडी की योजना के तहत 35 करोड़ से शहर में सड़ी-गली पाइप लाइनें बदलेगी।