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जैन मंदिरों में पर्युषण पर्व पर उत्तम तप और धर्म की हुई विशेष पूजा-अर्चना
जैनसमाज के पर्युषण पर्व के सातवें दिन सोमवार को जैन मंदिरों में उत्तम तप धर्म की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
इस अवसर पर सुबह 6 बजे मंदिरों में भगवान का अभिषेक करने के साथ ही शांतिधारा दशलक्षण मंडल की पूजा की गई। रमेशचंद्र जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व को लेकर चल रहे अनन्त चतुर्दशी तक होने वाले धार्मिक आयोजनों के तहत अब तक दस मंडल विधान की सात पूजा पूर्ण हो गई है। वहीं इस अवसर पर समाज के नथमल बाकलीवाल ने उत्तम तप धर्म के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पर्युषण पर्व में क्रोध पर विजय पाकर अहंकार को त्याग कर सरलता अपनाते हुए मन की शुद्धि के साथ सत्य को प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि सत्य के दीपक को संयम रूपी चिमनी से सुरक्षित करने की कोशिश करनी चाहिए। हीरा पाकर सुरक्षित भी रख लेने से हीरा चमकदार नहीं होता है।
हीरे को चमकदार बनाने के लिए उसे तराशना पड़ता है। उसी प्रकार मानव जीवन को तराशने की प्रक्रिया ही तप है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में आने के साथ ही हमें आत्मा रूपी हीरा मिल जाता है। मगर मुक्ति रूपी चमक पाने के लिए तप की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान ने विषय भोग की बहुत ज्यादा सुख-सुविधाएं उपलब्ध करवा दी। जिससे अब मनुष्य का ध्यान शरीर को छोड़कर आत्मा की तरफ जाता ही नहीं है। इस कारण संसार में वैराग्य पाना कठिन हो गया है। वैराग्य की प्राप्ति आत्मा को दोषों से छुटकारा दिलाने के लिए तप बहुत आवश्यक है। पर्युषण पर्व को लेकर नैनसी कुमारी, मुन्नीदेवी, अरिहंत पहाड़िया, भूपेंद्र, मोनिका, प्रियंका पहाड़िया, रितिक पहाड़िया उत्तम तप के तहत अन्न-जल का त्याग कर उपवास कर रहे है। पर्व को लेकर सोमवार शाम को आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में धार्मिक नाटक का मंचन किया गया। वहीं मंगलवार को मंदिरों में उत्तम त्याग की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।