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जिंदा होने का सबूत लिए घूम रहा है फजलू खां
कस्बेके वार्ड तीन का रहने वाला 79 वर्षीय फजलू खां खुद के जिंदा होने का सबूत लिए सरकारी विभागों के चक्कर काट रहा है। क्योंकि सालभर पहले उसे मृत मानकर उसकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई थी। तब से वह पेंशन शुरू कराने के लिए ठोकर खा रहा हैं। ग्राम पंचायत से उसे पंचायत समिति भेज दिया जाता है और पंचायत समिति से उपकोष कार्यालय, लेकिन कहीं पर भी उसकी सुनवाई नहीं हो रही है।
जानकारी के अनुसार फजलू खां का सात सदस्यों वाला परिवार बीपीएल में चयनित है। बावजूद इस परिवार को बीपीएल की कोई सुविधा नहीं मिल रही है।
सालभर से फजलू खां को मृत बताकर वृद्धावस्था पेंशन भी सरकार ने रोक रखी है। पीड़ित जब पंचायत में पेंशन के लिए जाता है तो उसे बुहाना भेज दिया जाता है। 15 किलोमीटर दूर बुहाना पहुंचता है तो जवाब मिलता है फजलू खां तो मर चुका है। तहसील रिकाॅर्ड में भी फजलू खां को मृत दिखा रखा है। सालभर से पेंशन नहीं मिलने से फजलू खां के परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत गई है।
फजलू खां का कहना है कि वह इस उम्र में कमा नहीं सकता, पेंशन से परिवार का गुजर बसर हो जाता था। लेकिन अब पैसे के अभाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। प|ी खातून का इस बारे में कहना है कि पहले वह बकरियां चराकर घर का गुजारा चला लेती थी, लेकिन अधिक उम्र में वो काम भी नहीं कर सकती। इस कारण परिवार को काफी परेशानी हो रही है।
किराये के मकान में रहना मजबूरी
फजलूखां का परिवार किराए के मकान में रहने को मजबूर है। फजलू खां का कहना है कि बीपीएल में होने के बाद भी अभी तक सरकार की तरफ से मकान बनवाने के लिए कोई सहायता नहीं मिली। इसलिए वह किराए के मकान में रहने को मजबूर है।
^आप से जानकारी मिली है, ऐसा कोई मामला है तो ग्रामसेवक को मौके पर भेजकर जांच करवा दी जाएगी। -विनोद कुमार, बीडीओ बुहाना
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