उदयपुर. उदयपुर की युवा लेखिका आरेफा तहसीन की पुस्तक “द एलिफेंट बर्ड’ का 15 सितंबर को राष्ट्रपति भवन के पुस्तकालय में पठन किया जाएगा। यह पुस्तक उन विशालकाय पक्षियों पर आधारित है जो विगत कुछ शताब्दियों में विलुप्त हुए हैं। स्वयंसेवी संस्था प्रथम बुक्स ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस अभियान “एक दिन, एक कहानी’ के तहत वर्ष 2016 के लिए उदयपुर की युवा लेखिका आरेफा तहसीन की पुस्तक ‘द एलिफेंट बर्ड’ को चुना है।
अढ़ाणिया गांव की है कहानी
देश भर में तीन हजार से अधिक स्वयंसेवक 25 भाषाओं में 3200 से अधिक सत्रों में इस पुस्तक को बच्चों के लिए पढ़ेंगे। पुस्तक में आकर्षक रंगीन चित्रांकन सोनल गोयल व सुमित सखुजा ने किया है। पुस्तक का कथानक राजस्थान के अढाणिया गांव में रचा गया है। लेखिका ने पिता पर्यावरणविद् डॉ. रजा एच. तहसीन से इन विलुप्त पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। पुस्तक 7 भाषाओं में अनुदित एवं प्रकाशित है।
लघु नाट्य करेंगे बच्चे
बच्चे इस कहानी पर लघु नाट्य भी खेलेंगे। अभियान के तहत 10 सितम्बर को ‘द एलिफेंट बर्ड’ की कहानी का स्कूल, आंगनवाड़ी, कच्ची बस्ती, पुस्तकालय व रंगमंच पर पठन और मंचन शुरू किया गया है। देश भर में जारी पठन एवं मंचन के बीच 15 सितम्बर को राष्ट्रपति भवन के पुस्तकालय में पुस्तक को पढ़ा जाएगा।
वन्य जीव प्रतिपालक रह चुकी लेखिका
लेखिका आरेफा तहसीन ने बताया कि उनकी दिव्यांग दादी खुर्शीद बानू तहसीन राजस्थान में महिला शिक्षा के आंदोलन में अग्रणी थीं। वे कहती थीं कि विकलांगता कुछ नहीं, विकलांग मानने की सोच ही व्यक्ति को सीमित करती है। पुस्तक की प्रमुख पात्र ‘मुनिया’ भी यही मानती हैं और बच्चों को संदेश देती हैं कि प्रकृति के बीच कई अप्रत्याशित मित्र मिलते हैं। आरेफा उदयपुर की पूर्व मानद वन्य जीव प्रतिपालक रह चुकी हैं और वन्य जीवन पर लिखती हैं।