कानपुर. यूपी के कानपुर नगर के बिठूर इलाके में मौजूद ब्रह्मनंद घाट पर ब्रह्मा जी खुटी की अलग ही मान्यता है। माना जाता है कि जो भक्त इस खुटी का दर्शन नहीं करता, उसकी मनोकामना अधूरी रह जाती है।
99 यज्ञ के बाद पाताल में चली गई थी ब्रह्मा जी की खड़ाऊ
- कानपुर सेंट्रल से करीब 25 किमी दूर ब्रह्मानंद घाट पर गंगा नदी किनारे स्थित छोटे से मंदिर में ब्रह्मा जी की खुटी मौजूद है। इस घाट को सबसे पवित्र घाट माना जाता है।
- मंदिर के पुजारी अजय उपाध्याय के मुताबिक, ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर बैठकर 99 यज्ञ किए थे। यज्ञ खत्म होने के बाद जब वह जाने के लिए खड़े हुए तब उनके दाहिने पैर की खड़ाऊं ( लकड़ी की चप्पल) जमीन के अंदर धंस गई। ब्रह्मा जी के लाख कोशिशों के बावजूद खड़ाऊं बाहर नहीं आई।
- कहानी है कि खड़ाऊं पाताल में चला गया, लेकिन खड़ाऊं के अंगूठे और उसके बगल वाली उंगली के बीच जो कील थी, वो धरती के ऊपर ही रह गई। ऐसे में उन्होंने अपनी खड़ाऊ यहीं छोड़ दी। जाते समय ब्रह्म जी ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह खुटी उनके नाम से विख्यात होगी।
- उन्होंने कहा था, जो श्रद्धालु मां गंगा में स्नान कर इनके खुटी का दर्शन करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। बता दें, चांदी के परत से बनी ये खुटी जमीन से महज आधा इंच बाहर की तरफ है।
- पुजारी के मुताबिक, ब्रह्मा जी के इसी यज्ञ से राजा मनु की उत्पत्ति हुई। राजा मनु का आधा शरीर पुरुष और आधा स्त्री का था, जिसे ब्रह्मा जी ने अलग कर स्त्री का नाम रानी शकुंतला रखा था। साथ ही, राजा मनु और रानी शकुंतला को सृष्टि की रचना करने का आदेश भी दिया था।
आगे की स्लाइड्स में 4 फोटोज में देखें मंदिर में मौजूद ब्रह्मा जी की खुटी...