सौर ऊर्जा से सालभर में 66 लाख रु. की बचत

6 वर्ष पहले
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नई दिल्ली. दिल्ली सचिवालय सौर ऊर्जा से जगमग हो रहा है। वहीं इससे हो रही  बिजली आपूर्ति की वजह से पिछले सालभर में सरकार को 66 लाख रुपए की बिजली बचत हुई है। पिछले साल दिल्ली सचिवालय में सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली की आपूर्ति शुरू की गई। 
 
बंद हो चुके इन्द्रप्रस्थ बिजली संयंत्र की खाली पड़ी जमीन पर पिछले साल एक मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए। संयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया और सालभर में 66 लाख रुपए बिजली की बचत हुई। इस प्रयास से सरकार की धनराशि में बचत तो हुई ही, साथ ही प्रदूषण में भी गिरावट आई। फिलहाल दिल्ली सचिवालय में बिजली की अधिकतम मांग 2.5 मेगावाट है। जानकारी के अनुसार नवंबर 2015 में दिल्ली सचिवालय के बिजली बिल में 498540 यूनिट बिजली की खपत दिखाई गई,  जबकि फरवरी 2017 में यह घटकर 234600 यूनिट हो गया। 
 
देशी पैनल से हो रहा बिजली उत्पादन: सत्येंद्र जैन
 
सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा लगाए गए इस संयंत्र में सभी उपकरण स्वदेशी हैं। इस संयंत्र पर दिल्ली सरकार को पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ा। ऊर्जा विभाग का कहना है कि आने वाले समय में संयंत्र की क्षमता एक मेगावाट से बढ़ाकर 3 मेगावाट कर दी जाएगा। ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी सौर ऊर्जा के जरिए सचिवालय में बिजली आपूर्ति होने की प्रशंसा की है।
 
 
नया बिजली आपूर्ति कोड नियमन मई तक
 
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का नया आपूर्ति कोड नियमन मई तक प्रभाव में आने की संभावना है, जिसके तहत बिजली वितरण कंपनियों को अघोषित बिजली कटौती के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना पड़ सकता है। नियमन का मसौदा अभी तैयार किया जा रहा है। आयोग ने इससे पूर्व नियमन का मसौदा जारी किया था और लोगों से इस पर सुझाव के लिए समय सीमा बढ़ाकर 21 मार्च कर दी है।
 
पूर्व की अधिसूचना के मुताबिक, यह 20 फरवरी को खत्म होने वाली थी। बिजली नियामक ने कहा कि अंतिम तिथि बढ़ाने का निर्णय लोगों से अनुरोध मिलने के बाद किया गया। माना जाता है कि इन प्रस्तावों का विश्लेषण करने के बाद आवश्यक बदलाव किए जाएंगे जिसमें करीब एक से डेढ़ महीना लगेगा।
 
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