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ये है फिरोज जहांगीर गांधी की कब्र, महात्मा गांधी ने दिया था अपना सरनेम

8 वर्ष पहले
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नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व सांसद फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को हुआ था, जबकि 8 सितंबर 1960 को हार्ट अटैक के कारण सिर्फ 48 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। इस मौके पर dainikbhaskar.com आपको बता रहा है फिरोज गांधी से जुड़ी कुछ कहानियां। इसी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं उनके पारिवारिक कब्रिस्तान के बारे में जहां उनको दफन किया गया था। फिरोज इंदिरा की शादी के बाद महात्मा गांधी ने अपना सरनेम दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी फिरोज जहांगीर गांधी पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। पारसी समुदाय ने भारत के विकास में काफी बड़ा योगदान दिया है। व्यापार जगत में जमशेद टाटा, जहांगीर रतन टाटा, गोदरेज, नेविल वाडिया ,साइरस मिस्त्री, कोवास्जी इत्यादि, स्वतंत्राता संग्राम सेनानियों में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, मैडम भिकाजी कामा, रतनबाई पेटिट (जिन्ना की पत्नी) इनके अलावा और भी कई नाम हैं। खेल जगत में नारी कोंट्रेक्टर, पाली उमरीगर, फारूख इंजीनियर, रुसी मोदी, विजय मर्चेंट इत्यादि।
फिरोज भी इसी समुदाय से थे
फिरोज गांधी का परिवार भी देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ था। इलाहाबाद में आज भी फिरोज के बड़े भाई फिरदौस के बेटे रुस्तम रहते हैं। तत्कालीन सांसद फिरोज गांधी के निधन के बाद इलाहाबाद के ममफोर्डगंज मोहल्ले स्थित पारसी समुदाय के कब्रिस्तान में दफन किया गया था। 1980 में मेनका गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी यहां आई थीं। उसके बाद परिवार का कोई सदस्य इस कब्रिस्तान में नहीं आया। इस कब्रिस्तान की देखभाल एक चौकीदार करता है। कब्रिस्तान में कुआं और एक मकान के अलावा चौकीदार के रहने के लिए दो कमरे भी बने हुए हैं। देखभाल के अभाव में फिरोज गांधी सहित उनके पूर्वजों की कब्र जर्जर हो चुकी हैं।
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