गुमला/गया। झारखंड के गुमला जिले में रविवार को मुठभेड़ में मारा गया कुख्यात माओवादी सैक मेंबर आशीष दा एमबीए का स्टूडेंट रहा है। पटना (बिहार) के कोचिंग में दो साल तक शिक्षक भी रहा। आशीष दा नक्सलवाद में एमबीए की पढ़ाई छोड़कर गया था। आपसी रंजिश में फैमिली के 4 लोगों की एक ही साथ हत्या से बौखलाकर उसने नक्सलवाद का दामन थामा था। इसे माओवादियों के लिए व्यूह रचनाकारों में शुमार किया जाता था...
- आशीष माओवादियों का शूटर था, उसे माओवादियों के लिए व्यूह रचनाकारों में शुमार किया जाता था। गया-औरंगाबाद के सीमांत डुमरी नाला मुठभेड़ का व्यूह भी इसने रचा था।
-घटना के दिन 18 जुलाई को गया में बड़े सरकार के नाम से चर्चित शीर्ष माओवादी संदीप यादव के साथ आशीष भी था।
- गौरतलब है कि डुमरी नाला में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में दस कोबरा जवान शहीद हो गए थे।
- आशीष का वास्तविक नाम आशीष यादव उर्फ सुजय कुमार था। नक्सलियों के बीच इनकी आशीष दा के नाम से पहचान थी। आशीष पटना जिले के भगवानगंज थाना स्थित मसौढ़ी का रहने वाला था। पिता राजनाथ यादव किसान बताए जाते हैं।
- आशीष को जहानाबाद (बिहार) के रहने वाले कभी पीपुल्स वार के सुप्रीमो, अब भाकपा माओवादी के शीर्ष नेताओं में एक अरविंद कुमार उर्फ देव कुमार नक्सलवाद की दुनिया में लाया था।
- गुमला का मुठभेड़ स्थल घने जंगल में है। यहां पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है। कच्चे रास्ते और पगडंडियों के सहारे काफी मुश्किल से वहां पहुंचा जा सकता है।
-कोई सुविधा नहीं होने के कारण सोमवार शाम आशीष का शव जवान कंधे पर लादकर खरवाडीह तक लाए। वहां से देर शाम पोस्टमार्टम के लिए गुमला सदर अस्पताल भेजा गया।
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