पटना. देश में इन दिनों जहां धार्मिक कट्टरवाद पर बहस हो रही है और असहिष्णुता के चलते लोग पदक लौटा रहे हैं। वहीं, लोक आस्था के महापर्व छठ पर सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल देखी गई। बिहार में छठ पर्व केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिमों ने भी किया।
अरेराज की हसीना खातून ने किया छठ
बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले के अरेराज बेतिया मुख्य पथ स्थित पहाड़पुर थाना क्षेत्र के बथुआहां पोखरा स्थित छठ घाट पर मुस्लिम महिला हसीना खातून ने बुधवार सुबह को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। वह श्रद्धा पूर्वक लगातार कई वर्षों से छठ व्रत कर रही हैं।
हसीना खातून कहती हैं कि उन्होंने छठी मैया से मन्नत मांगी थी, मन्नत पूरा होने के बाद से वह छठ कर रही हैं। छठ करने के दौरान वह पूरे विधि विधान का ख्याल रखती है। एक माह पहले से ही प्याज और लहसुन खाना छोड़ देती हैं। इस पर्व के दौरान उसे परिवार और गांव के लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है।
गोपालगंज: मन्नत पूरी होने पर जमीला करती हैं छठ पूजा
गोपालगंज के बैकुंठपुर और थावे प्रखंड में कई मुस्लिम परिवारों की महिलाओं ने छठ व्रत किया। ये महिलाएं पूरे विधि-विधान से छठ पूजा करती हैं। छठी मइया के गीत गाती हैं और पूजा के अनुष्ठान और प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे बनाती हैं। यहां के 6 मुस्लिम परिवार पिछले कई सालों से छठ पूजा करते आ रहे हैं। जमीला खातून कहती हैं कि उसने छठी मैया से बेटे की मन्नत मांगी थी और मन्नत पूरी होने के बाद पिछले 16 सालों से छठ पूजा कर रही हैं। जमीला के अनुसार छठ पूजा करने में उन्हें परिवार, मुस्लिम समाज समेत हिन्दू समाज का भी पूरा सहयोग मिलता है।
सारण में भी मुस्लिम करते हैं छठ पूजा
सारण जिले के रसूलपुर थाना के माधोपुर गांव के मुस्लिम परिवार के लोग भी छठ पूजा करते हैं। कासीम मियां की पत्नी दरूदन बीवी ने कहा कि उसके परिवार की महिला सायराना ने बेटा होने की मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरा होने के बाद से वह छठ पूजा कर रही है। माधोपुर गांव में मुस्लिम परिवारों के लिए छठ पूजा करने की परंपरा रही है। दरूदन कहती हैं कि पहले हमारी सास व परिवार की कई महिलाएं छठ करती थीं।
सारण जिले के सिताब दियारा के लाला टोला में मुस्लिम परिवार करीब 70 साल से छठ कर रहे हैं। गांव के मंजूर मियां हर साल छठ व्रत करते हैं। उनकी मां उमत बीवी भी छठ पूजा करती थी। मंजूर बताते हैं कि उनके जन्म के समय उनकी मां उमत बीवी अपने मायके शीतलपुर गांव में थी। पहले उमत बीवी के बच्चों की मौत जन्म के कुछ दिनों बाद ही हो जाती थी। पड़ोस की हिन्दू महिला ने उमत की तकलीफ देख छठी मैया से मन्नत मांग दी कि इस बार जन्म लेने वाला बच्चा सही सलामत रहेगा तो उमत बीवी छठ व्रत करेगी। उस समय से उमत बीवी जब तक जीवित रहीं, छठ करती रहीं।
फोटो- रीतेश कुमार
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