भोपाल। लगभग एक महीने से गणेशोत्सव के दौरान पर्यावरण की रक्षा का गाना गा रहे प्रशासन और अन्य लोगों के दावे की पोल खुल गई है। शहर में शाहपुरा तालाब, पांच नंबर तालाब सहित कई ऐसी जगह हैं, जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों का विसर्जन हुआ। इन मूर्तियों के आसपास पसरी भयानक गंदगी ने स्वच्छता के साथ-साथ लोगों की आस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विसर्जन के बाद बप्पा की मूर्तियां कीचड़, सीवेज और कचरे के बीच पड़ी मिलीं।
गणपति बप्पा के विराजने से पहले ही प्रशासन और कई पर्यावरणविद् मिट्टी की मूर्ति को स्थापित करने का प्रचार कर रहे थे, लेकिन इस बार भी लोगों ने किसी की नहीं सुनी। शहर में बड़ी संख्या में छोटी-छोटी प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बैठाई गई थीं। इन मूर्तियों के विसर्जन के लिए शहर में जगह-जगह विसर्जन कुंड भी बनाए गए थे, लेेकिन लोगों ने विसर्जन कुंड के साथ-साथ इसके पास बेतरतीब तरीके से मूर्तियां और पूजन सामग्री डाल दी। पूरा विसर्जन स्थल गंदगी से पटा हुआ था और इसी गंदगी में गणपति बप्पा की टूटी-फूटी और कुछ साबुत मूर्तियां पड़ी थीं। इससे इलाके तो गंदे हो ही रहे हैं, गंदगी के बीच पड़ी मूर्तियां होने से भगवान का भी अपमान हो रहा है।
प्रेमपुरा घाट पर भी नगर निगम ने तालाब में पूजन सामग्री डालने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन यहां भी लोगों ने एक नहीं सुनी। तालाब पूजन सामग्री से पटा हुआ है और निगम को सफाई के लिए मशीनें लगानी पड़ीं।
गणेशोत्सव पर हर साल खर्च होते हैं कराेड़ों
भोपाल शहर में ही हर साल गणेशोत्सव पर बनने वाली झांकियों में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। अनुमान है कि एक बड़ी झांकी में औसतन 7 से 8 लाख रुपए पूजा, साज-सज्जा और भंडारे पर खर्च किए जाते हैं। ऐसी सैकड़ों झांकियां शहर में बनाई जाती हैं।
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