इंदौर. देशभर के मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा नीट क्वालिफाई करने वाले लाखों छात्रों का डाटा लीक होकर मेडिकल माफिया के पास पहुंच चुका है। क्वालिफाई छात्रों के पास आ रहे दलालों के मैसेज, फोन, ईमेल इसकी पुष्टि कर रहे हैं। ये दलाल नीट-यूजी में निचली रैंक वाले छात्रों को भी 50 से 70 लाख रुपए के बदले कॉलेजों में प्रवेश दिलवाने का दावा कर रहे हैं।
भास्कर ने पड़ताल की तो ऐसी कई वेबसाइट का खुलासा हुआ, जो नीट 2017 और 2018 का डाटा बेच रही हैं। इन वेबसाइट पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार व दूसरे राज्यों के लिए क्वालिफाई छात्रों का डाटा भेजा जा रहा है। खुलेआम डाटा बिकने की घटना सीबीएसई के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी संदेह के दायरे में खड़ा कर रही है। गौरतलब है कि इस वर्ष लगभग 10 लाख छात्रों ने नीट दी थी। सीबीएसई ने इसमें से लगभग 5 लाख छात्रों को नीट के लिए क्वालिफाई घोषित किया था। वेबसाइट द्वारा डाटा बेचने के खेल को सामने लाने वाले रीवा के विवेक पांडे बताते हैं कि कुछ वेबसाइट पर 2017 तो कुछ पर 2018 का डाटा भी बिक रहा है। अनुमान है कि वेबसाइट पर लगभग 10 लाख छात्रों का चोरी किया डाटा मौजूद है। देश के बड़े शहरों में मौजूद कोचिंग सेंटर इस डाटा का प्रमुख स्रोत हैं और खरीदार भी।
मध्यप्रदेश के छात्र भी : 23 हजार का डाटा लीक होने की आशंका
मामले में प्रदेश के 23 हजार छात्रों का डाटा लीक होने की आशंका है। कुछ छात्रों ने इस बारे में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों से संपर्क कर उन्हें दलालों की सक्रियता की जानकारी दी है। हालांकि अभी काेई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।
मोबाइल पर भेजे गए आेटीपी को वेबसाइट पर क्लिक करते ही मिलती है जानकारी: नीट डाटा बेचने के इस काम में शामिल लोग बड़ी चालाकी से इसे अंजाम दे रहे हैं। छात्रों से बड़े पैमाने पर संपर्क कर चुके इन लोगों का कोई स्रोत चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसर पता नहीं कर पाए हैं। उन तक डाटा लीक होने और उसको लेकर सौदेबाजी चलने की जानकारी तो पहुंच गई है, पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की। भास्कर पड़ताल में पता चला कि डाटा का सैंपल लेने के लिए मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भेजा जाता है। इसे वेबसाइट पर दर्ज करने पर तीन नीट क्वालिफाई छात्रों की निजी जानकारी दी जाती है। जब इन्हें निकालकर जांच की तो सभी सही निकले। ऐसी एक वेबसाइट नीटडाटा. कॉम ने राज्यवार सूची डाल रखी है। किसी भी राज्य का डाटा खोलने पर नंबरों की सूची आ जाती है, जिसके अंतिम तीन अंक छुपे हुए होते हैं। वेरिफिकेशन के लिए मांगे जाने पर अंतिम 3 अंक भी उपलब्ध करवा देते हैं। इसके बाद दलाल सामने आते हैं और सीट दिलवाने का ऑफर करते हैं। उनकी नजर ऐसे छात्रों पर रहती है, जिनका चयन रैंकिंग के चलते होना मुश्किल दिखता है।
सूचना पहुंची, पर एक्शन नहीं: डाटा लीक होने की जानकारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों तक भी पहुंची है, हालांकि उनका कहना है कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। भास्कर ने मामले में डीएमई डॉ. उल्का श्रीवास्तव से बात की तो वे भी कुछ बोलने से बचती रहीं।
इन 5 वेबसाइट पर बेच रहे डाटा
- नीटडेटा.कॉम
- स्टूडेंटडेटाबेस.इन
- मोबाइलडेटाबेस.इन
- नीटपीजीडेटा.इन
- नीट.डेटाडेस्क इन
ईमेल एड्रेस भी: सारी जानकारियां दे रहे: वेबसाइट पर सभी क्वालिफाइंग छात्रों के साथ-साथ राज्यवार डाटा भी उपलब्ध है। डाटा में छात्रों और उनके पैरेंट के मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और रोल नंबर के साथ-साथ छात्र की नीट में रैंक और उसके प्राप्तांक की जानकारी भी दी जाती है।
सीबीएसई से जारी होता है डाटा
1. डीमैट बंद होने के बाद रहती है नजर: डाटा लीक का सबसे पहला संदेह परीक्षा एजेंसी सीबीएसई पर जाता है। सीबीएसई ऑल इंडिया रैंक तो जारी करती ही है, यह विभिन्न राज्यों के चिकित्सा शिक्षा विभाग को राज्यवार मेरिट सूची भी उपलब्ध कराती है। निजी मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा डीमैट बंद होने के बाद दलालों के बीच इसकी मांग बहुत बढ़ गई है।
2. चिकित्सा शिक्षा विभाग भी घेरे में: ज्यादातर मेडिकल कॉलेज दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश ,बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में हैं। इन राज्यों के डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) के पास भी सीबीएसई छात्रों का डाटा भेजती है। यहां से भी डाटा चोरी होकर मेडिकल दलालों के पास पहुंच जाता है।
लेफ्ट आउट का खेल : सीटें ब्लॉक करके देते हैं ऑफर: कई दलाल निजी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से जुड़े हुए हैं। इन दलालों का दावा है कि इसके लिए निजी कॉलेजों में अच्छी रैंक वाले छात्रों द्वारा सीटें ब्लॉक करके रखी जाती हैं। प्रवेश की अंतिम तारीख पर यह सीट खाली कर दी जाती हैं। मेडिकल के दलाल इन्हीं लेफ्ट आउट सीटों पर कॉलेज लेवल काउंसलिंग के जरिए प्रवेश दिलवाने का दावा कर रहे हैं।
निजी कॉलेज के ऑफर : 40 हजार से ज्यादा सीटें यहां पर
देशभर में उपलब्ध कुल 60 हजार एमबीबीएस सीटों में से 40 हजार दो सौ से ज्यादा सीटें निजी मेडिकल कॉलेजों में हैं। डाटा चोरी की सारी कवायद इन्हीं सीटों के लिए की जाती है। मेडिकल माफिया एमबीबीएस के लिए 70 लाख तक में प्रवेश का दावा कर रहे हैं। नीट-पीजी क्वालिफाई करने वाले निचली रैंक के छात्रों से संपर्क कर उन्हें प्रवेश दिलवाने का दावा किया जा रहा है। इसके लिए रकम कई बार एक करोड़ रुपए तक भी पहुंच रही है। कई मामलों में दलाल प्रवेश दिलाने में सफल भी रहे हैं। छात्र और उनके पालक इन दलालों के चक्कर में फंसकर ठगे जा रहे हैं। एक छात्र के पास 5 से 6 दलालों के फोन और मैसेज पहुंच रहे हैं। छात्रों ने बताया कि उनके पास इन दिनों कई ऐसे लोगों के मैसेज आ रहे हैं।
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