* बचपन में जनरल डिब्बे में बैठकर सफर करते थे पार्थिव पटेल
* टीम सिलेक्शन के बाद पुलिस वैन में बैठकर पहुंचे थे एयरपोर्ट
* एक ही ड्रेस होने के कारण कई बार गीली ड्रेस पहनकर की प्रैक्टिस
* पार्थिव पटेल ने धोनी को बताया लीविंग लीजेंड
स्पोर्ट्स डेस्क. टीम इंडिया के पू्र्व विकेटकीपर और गुजरात को पहली बार रणजी जिताने वाले कप्तान पार्थिव पटेल हाल ही में गौरव कपूर के शो 'ब्रेकफास्ट विद चैम्पियन्स' में नजर आए। इस शो में उन्होंने गौरव के साथ अपने क्रिकेट करियर के अलावा पर्सनल लाइफ से जुड़ी कई खास बातें शेयर कीं। शो के दौरान पार्थिव ने अपने जन्म से लेकर पहली बार टीम इंडिया में सिलेक्शन और स्लेजिंग को लेकर कई मजेदार किस्से सुनाए। वहीं जब उनसे पूर्व कप्तान एमएस धोनी को लेकर सवाल किया गया तो पार्थिव ने धोनी को लिविंग लीजेंड बताते हुए कहा कि हमारी कमी की वजह से ही धोनी को टीम में मौका मिला। धोनी को लेकर ये बोले पार्थिव...
- शो के दौरान गौरव ने कहा- मुझे लगता है आप और दिनेश कार्तिक जैसे कई अच्छे विकेटकीपर्स गलत दौर में पैदा हुए, क्योंकि धोनी की वजह से आप लोगों को लंबे वक्त तक टीम में रहने का मौका नहीं मिला?
- इस सवाल के जवाब में पार्थिव ने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि धोनी लीजेंड हैं। मुझसे अक्सर बहुत से लोग कहते हैं कि तुम गलत युग में पैदा हुए, लेकिन मेरा सोचना ये है कि हमने धोनी से पहले खेलना शुरू किया था, अगर हम खराब परफॉर्म नहीं करते तो धोनी को मौका कैसे मिलता। तो इस बारे में सोचने से अच्छा ये है कि हम इस बात को मानें कि हमने अपनी क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं किया, इसलिए उसे मौका मिला।'
- 'अगर कोई ये कहता है कि हम गलत एरा में पैदा हुए तो ये मन बहलाने की बात है, इससे कुछ वक्त के लिए मन खुश तो हो सकता है, लेकिन सच्चाई हम सब जानते हैं कि आप परफॉर्म नहीं कर सके इसलिए धोनी वहां तक पहुंचे।'
- बता दें कि पार्थिव पटेल (डेब्यू- अगस्त 2002) और दिनेश कार्तिक (डेब्यू- सितंबर 2004) ने एमएस धोनी (दिसंबर 2004) से पहले डेब्यू किया था। लेकिन धोनी के टीम में आ जाने के बाद ये दोनों विकेटकीपर्स को ज्यादा मौके नहीं मिल सके।
हेडन ने दी थी मुक्का मारने की धमकी
- स्लेजिंग को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, पहली बार टीम इंडिया के साथ 17 साल की उम्र में इंग्लैंड गया था। तब ज्यादा इंग्लिश नहीं आती थी, इसलिए वहां नासिर हुसैन और एलेक्स स्लेजिंग करते हुए क्या बोल जाते थे, ज्यादा कुछ समझ नहीं आता था। वहीं ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैथ्यू हेडन को लेकर पार्थिव ने कहा, वे स्लिप में मुंह पर हाथ रखकर जमकर स्लेजिंग करते थे।
- हेडन से जुड़ा एक किस्सा बताते हुए पार्थिव ने कहा, 'एक बार ब्रिस्बेन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच हुआ था। उस मैच में हेडन ने सेन्चुरी लगाई थी। वो जब आउट हुए, तो मैं पानी लेकर ग्राउंड पर जा रहा था, इसी दौरान मैंने रास्ते में उन्हें अजीब सी आवाज निकालकर चिढ़ाया था, जिसके बाद वो मुझे घूरकर देखने लगे थे, तभी मुझे लग गया कि वो मुझे छोड़ेंगे नहीं।'
- आगे पार्थिव ने कहा, 'ब्रिस्बेन में ड्रेसिंग रूम में जाने के लिए टनल जैसे रास्ते से होकर जाना पड़ता है। जब मैं पानी पिलाकर वापस लौटने लगा तो हेडन टनल की दोनों दीवारों पर अपने हाथ फैलाकर रास्ता रोके मेरा इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा, अगर तुमने दोबारा ऐसा मेरे साथ किया तो मैं तुम्हें चेहरे पर मुक्का मार दूंगा। तब मैंने कहा- मुझसे गलती हो गई, अब ऐसा नहीं करूंगा और मैं उनके नीचे से निकल गया।'
शुरुआती लाइफ में देखा काफी स्ट्रगल
- पार्थिव के मुताबिक बचपन में उन्होंने काफी स्ट्रगल किया। उस वक्त उनकी फैमिली की फाइनेंशियल कंडिशन बेहद साधारण थी। 1994-95 में उनके मम्मी-पापा जिस मिल में काम करते थे वो बंद हो गई थी। जिसके बाद उनकी मां एक डेंटिस्ट के यहां फोन ऑपरेटर का जॉब करने लगीं।
- अंडर 14 और अंडर 16 के दौरान जनरल डिब्बे में बैठकर अहमदाबाद से जर्नी करते थे। एक बार अंडर-15 इंडिया ट्रायल्स के लिए वे जनरल डिब्बे में बैठकर पुणे गए थे। वे शाम 7 बजे पहुंच गए थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने रात 9 बजे के बाद घर पर फोन लगाया। क्योंकि रात 9 बजे के बाद STD कॉल के रेट कम हो जाता था।
- बचपन में पार्थिव के पास क्रिकेट खेलने के लिए सिर्फ एक जोड़ी सफेद ड्रेस ही थी। जिस दिन दोनों टाइम प्रैक्टिस करनी होती थी तो सुबह प्रैक्टिस से आने के बाद उनकी बहन वो ड्रेस धो देती थी। उसी को पहनकर वे शाम को जाते थे।
- कई बार जब शाम को ड्रेस नहीं सूख पाती थी, तो वे गीले कपड़े पहनकर ही साइकिल से चले जाते थे, ताकि ड्रेस पहुंचते-पहुंचते सूख जाएंगे। उस वक्त उनके पास एक जोड़ी जूते ही थे और क्रिकेट किट स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ गुजरात से मिली थी।
- पार्थिव के मुताबिक उनका स्कूल 12-13 किमी दूर था। वे स्कूल बैग और किट बैग साथ लेकर ही साइकिल से स्कूल जाते थे।