रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल प्रदेश के हजारों पर मरीजों पर भारी पड़ी। एसएमएस सहित मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में पहले से प्रस्तावित 80 से अधिक ऑपरेशन टले। एसएमएस की औसत अोपीडी 9000 से कम होकर 6200 तक ही रह गई। आईपीडी में भी आम दिनों से 40% की कमी आई। तीन सूत्रीय मांगों को लेकर मंगलवार सुबह नौ बजे से की गई हड़ताल को खत्म करने के लिए सरकार स्तर पर रेजीडेंट से दो बार वार्ता हुई लेकिन लिखित आश्वासन नहीं मिलने से रेजीडेंट ने काम बंद रखने का निर्णय किया। मंत्री रघु शर्मा और चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया रेजीडेंट की मांग माने जाने और उन्हें समझाने में विफल रहे, वहीं रेजीडेंट का हठधर्मी रवैया भी मरीजों को परेशान करने वाला रहा।
हालांकि अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था की गई और सीनियर डॉक्टर्स, एमओ सभी को लगाया गया। इसके बावजूद इमरजेंसी केस ही देखे जा सके। मालूम हो कि ओपीडी से लेकर वार्डो, ऑपरेशन में रेजीडेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 1300 से अधिक रेजीडेंट के हड़ताल में शामिल होने से एसएमएस, जेके लोन, महिला, कांवटिया, गणगौरी, जनाना अस्पताल में इलाज प्रभावित रहा।
रेजीडेंटस की ये मांग प्रमुख
अन्य राज्यों की तर्ज पर आवासीय भत्ता देने, हाल ही में बढ़ाई गई पीजी और सुपर स्पेशिलिटी की फीस का आर्डर वापस लेने और चिकित्सकों के लिए पुख्ता सुरक्षा उपलब्ध कराने की प्रमुख मांग है।
वार्ड में एक बेड पर 2-2 मरीज भर्ती...और डॉक्टर एक भी नहीं
सवाल- क्या हड़ताल जारी रहेगी?
डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर छह महीने में अस्पताल में केंद्रीयकृत सुरक्षा व्यवस्था लागू करने, फीस बढ़ोतरी की मांग प्रमुख मांग हैं। सरकार स्तर पर रेजीडेंट्स को आश्वासन दिया गया लेकिन वे नहीं माने। जार्ड अध्यक्ष अजीत बागड़ा और रामचंद जांगू ने कहा कि हमें मौखिक आश्वास पिछले छह महीने से मिल रहा है, लेकिन अब लिखित में हल चाहिए। सरकार से 16 नवंबर को हुई वार्ता में एक मांग पर सहमति बनी थी। बाकि मांगों के समाधान के लिए 15 दिन का समय मांगा था। अब वही स्थिति आ गई है। इसलिए जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक हड़ताल रहेगी।
एक िदन की हड़ताल से 7 िदन वेटिंग बढ़ी : दौसा निवासी शांति हाे या जयपुर का विकास। 100 से अधिक ऐसे मरीजों के ऑपरेशन टले, जिनके मंगलवार को होने थे। बुधवार को हड़ताल खत्म भी होती है तो इन मरीजों को कम से कम 7 दिन इलाज के लिए इंतजार करना होगा। क्योंकि जिन लोगों के बुधवार को ऑपरेशन होने हैं, पहले उनका नंबर लिया जाएगा।
सलाह- सरकार अब गंभीरता दिखाए
एसएमएस अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी वार्ड में दिवाली के दूसरे दिन एक महिला की मौत पर गुस्साए परिजनों ने रेजीडेंट डॉक्टर से मारपीट कर दी थी। उसी समय से अस्पताल प्रशासन और रेजीडेंट डॉक्टरों के बीच सुरक्षा व्यवस्था और अन्य मांगों को लेकर विवाद चल रहा है। पिछले सोमवार को रेजीडेंट ने हड़ताल की चेतावनी दी, लेकिन न तो सरकार ने गंभीरता से लिया और नहीं चिकित्सा विभाग और अस्पताल ने। नतीजतन अब फिर से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। हड़ताल का यह पहला मौका नहीं, मरीजों को बिना डॉक्टर इलाज लेने की आदत हो रही है...सरकार ध्यान दे।