हरियाणा से हूं और वहां की लैंग्वेज में मूवी बना रहा हूं। यूपी-मराठी सिनेमा भी स्ट्रॉन्ग है। जरूरत है तो इच्छा शक्ति की, क्योंकि किसी न किसी को तो स्टेप लेना पड़ेगा। राजस्थानी सिनेमा भी तभी उभर सकता है, जब यहां कोई पागलपन की हद तक उसे उभारने के लिए काम करें। यह कहना था बॉलीवुड एक्टर-डायरेक्टर सतीश कौशिक का, जो शहर में राजस्थान फिल्म फेस्टिवल सीजन-7 में आए थे। उनके साथ बॉलीवुड एक्टर शक्ति कपूर, श्रेयस तलपड़े, राजेश पुरी, नेहाश्री आदि ने रीजनल सिनेमा की दशा-दिशा पर चर्चा की। फाउंडर संजना शर्मा ने बताया, फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा और एक्टर अनिरुद्ध दवे ने भी स्थानीय इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने पर विचार दिए। चर्चा में कौशिक ने कहा, अनुदान मिलना बड़ी बात नहीं है अच्छी पॉलिसी होना ज्यादा जरूरी है। मैंने कई लैंग्वेज में मूवी बनाई हैं और जब राजस्थान के लिए मौका मिलेगा तो यहां भी बनाउंगा। नेहाश्री ने कहा, हम गवर्नमेंट से लंबे समय से सपोर्ट की मांग कर रहे हैं। स्ट्रॉन्ग पॉलिसी नहीं है, जिसका खामियाजा स्थानीय सिनेमा भुगत रहा है। अन्य राज्यों की बात की जाए तो कई जगह 50 लाख तक का सपोर्ट है, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है।
टीचर ने कहा था हीरो बनने के लिए:
कौशिक ने पर्सनल लाइफ शेयर करते हुए कहा, मैं सिर्फ एक्टिंग में ही जाना चाहता था। पापा हरियाणा से थे और मां राजस्थान से, लेकिन मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। वहीं कॉलेज टाइम से एक्टिंग करता था। एक बार मेरे टीचर ने कहा, तुमको हीरो बनना चाहिए और मैं मुंबई तक आ गया। इंसीडेंट हर किसी की लाइफ में आते हैं। मेरा भी 2 साल का बेटा दुनिया छोड़कर चला गया था, तब बहुत टूट गया था। उभरने में 4 साल लग गए। साथ ही रूप की रानी चोरों का राजा मूवी ने डूबो दिया, लेकिन जिंदगी रुकी नहीं। आज भी खड़ा हूं और काम कर रहा हूं।
इकबाल नहीं कर रहा था:
श्रेयस ने कहा, इकबाल दिल के बहुत करीब है लेकिन कम लोगों को पता है मैं यह मूवी नहीं कर रहा था। क्योंकि मेरा किसी और से कमिटमेंट था, लेकिन इकबाल मेरे नसीब में थी जिसके बाद स्थापित हुआ। उन्होंने कहा, मराठी सिनेमा एक समय में चल नहीं रहा था। इसके बाद कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाई और कुछ मूवी चल निकली। इसके बाद तो लोग डेट पर भी मराठी मूवी देखने जाते हैं।
राजस्थानी सिनेमा को उभारने के लिए पागलपन की हद तक काम करना होगा