अहमदाबाद। गुजरात के साबरकांठा जिले का गांव- हडियोल। गांव की पहचान है- शिक्षकों वाला गांव। यहां किसी भी घर में चले जाइए, एक शिक्षक जरूर मिल जाएगा। गांव की कुल आबादी 6000 है। इनमें से हजार लोग अध्यापक ही हैं। 790 अभी भी टीचिंग में सक्रिय हैं। बाकी करीब 200 शिक्षक रिटायरमेंट ले चुके। पूरे गुजरात का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां हडियोल से निकला कोई शिक्षक पढ़ा न रहा हो। साबरकांठा प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख संजय पटेल बताते हैं कि- ‘गांव की इस पहचान की नींव 1955 में पड़ी थी।
1959 में एक मंदिर में गांव का पहला स्कूल खोला था
गांव के 3 लोगों ने शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की थी। इसी वक्त यहां के दंपती गोविंदभाई रावल-सुमती बहन ने विश्व मंगल संस्था के जरिए शिक्षा के महत्व को समझाने की मुहिम शुरू की। बस यहीं से सिलसिला चल निकला, जो आज तक कायम है। 1959 में रावल दंपती ने ही गांव का पहला स्कूल खोला। वो भी एक मंदिर में। बाद में शिक्षा के लिए ‘विश्व मंगलम् अनेरा’ संस्था बनाई गई। इसके बैनर तले 5000 लड़कियां पढ़ चुकी हैं। हडियोल से प्रेरित होकर पास के गठोडा, आकोदरा और पुराल गांव में भी शिक्षकों की अच्छी-खासी संख्या है। रिटायर शिक्षक शंकरभाई पटेल बताते हैं कि- ‘गांव में किसी की सगाई से पहले देखा जाता है कि लड़का-लड़की शिक्षक हैं कि नहीं। गांव वाले बेटियों का विवाह शिक्षकों से करने को प्राथमिकता देते हैं।’
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