हेल्थ डेस्क. ग्लोबल न्यूट्रीशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी उम्र की 51 फीसदी महिलाएं गर्भधारण के दौरान एनीमिया से ग्रस्त होती हैं। सिर्फ महिलाएं ही नहीं किसी भी उम्र या लिंग के व्यक्ति के लिए हीमोग्लोबिन के स्तर के कम होने को नज़रअंदाज करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने वाला एक मेटल प्रोटीन है, जो फेफड़ों और गलफड़ों से शरीर के भीतर ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाने का काम करता है, साथ ही शरीर की सभी प्रक्रियाओं को सुचारु रूप से करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के आयरन का लगभग 70 प्रतिशत हीमोग्लोबिन में पाया जाता है, जो कि श्वसन, मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रखने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आवश्यक है। डॉ. प्रशांत भट्ट, कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन, कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल, पटियाला से जानते हैं इसकी कमी होने पर शरीर में क्या परिवर्तन होते हैं...
सवाल: हीमोग्लोबिन क्यों शरीर के लिए कितना जरूरी है?
जवाब: रक्त में हीमोग्लोबिन की गणना रक्त की कुल मात्रा में ग्राम प्रति डेसीलीटर (एक लीटर का दसवां भाग) में मापा जाता है। इसका सामान्य स्तर आयु और लिंग के आधार पर भिन्न होता है। नवजात शिशु में सामान्य स्तर 17.22 ग्राम डीएल है, जबकि बच्चों में यह 11.13 ग्राम डीएल है। वयस्क पुरुष में सामान्य हीमोग्लोबिन का स्तर 14.18 ग्राम डीएल होता है और वयस्क महिलाओं में यह स्तर 12.16 ग्राम डीएल होता है।
सवाल: क्या है एनीमिया ?
जवाब: रक्त में हीमोग्लोबिन का निचला स्तर आयरन की कमी यानी एनीमिया होता है। शुरुआत में आयरन की कमी के बाद हीमोग्लोबिन का अवशोषण शरीर में जमा आयरन से होने लगता है और जब जमा आयरन शरीर में आयरन की कमी को पूरी नहीं कर पाता है, तो लौह की कमी से एनीमिया होने लगता है। खून में रक्त कोशिकाएं कम होने या हीमोग्लोबिन की कमी से विभिन्न समस्याएं जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ना, आंतरिक रक्तस्राव और पोषण की कमी संबंधी समस्या जैसे आयरन, विटामिन बी12, फोलेट की कमी, अस्थि मज्जा विकार और हीमोग्लोबिन की संरचना असामान्य हो सकती है।
सवाल: कैसे पहचानें की व्यक्ति एनीमिक है यानी उसके शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम है?
जवाब : थकान : थकान महसूस होना, एनीमिक रोगियों में होने वाली आम समस्या है।
त्वचा में पीलापन : लाल रक्त कोशिकाएं त्वचा को गुलाबी चमक देती हैं, हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से त्वचा पीली होने लगती है।
घबराहट : मरीज में हीमोग्लोबिन की कमी से उन्हें हर समय तेजी से दिल के धड़कने का एहसास होता है।
सांस लेने में समस्या : हीमोग्लोबिन शरीर के भीतर ऑक्सीजनयुक्त रक्त पहुंचाता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से श्वसन समस्याएं होने लगती हैं और मरीज को हमेशा घबराहट महसूस होती है।
टिनिटस : यह हीमोग्लोबिन की कमी वाले मरीजों में होने वाले सबसे आम लक्षणों में से एक है, जहां वे शरीर के भीतर उत्पन्न ध्वनि सुन सकते हैं और बाहर की आवाज नहीं। इसके अलावा सिरदर्द, खुजली, स्वाद में बदलाव, बालों का झड़ना, असामान्य रूप से चिकनी या उभरी हुई जीभ महसूस होना और न खाने वाली चीज जैसे मिट्टी, चॉक, बर्फ या कागज को खाना या नाखून चबाने जैसी लत भी लग सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर : एनीमिया से संज्ञानात्मक और तार्किक क्षमता में कमी होना सामान्य है। मस्तिष्क में मोनोमाइन के मेटाबॉलिज्म में आयरन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए आयरन की कमी से उदासीनता, उनींदापन, चिड़चिड़ाहट और ध्यान की कमी जैसे लक्षण खराब मोनोमाइन ऑक्सीकरण की गतिविधि का संकेत है। हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी के कारण व्यक्ति में निराशा भी आ जाती है।
डिप्रेशन और अरिदमिया : हीमोग्लोबिन की कमी से डिप्रेशन, हार्ट फेल होना, अरिदमिया यानी धड़कन अनियंत्रित होने की समस्या हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी के कारण होती है। इसके अलावा इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है, जिससे लोगों को संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है।
सवाल: क्या है हीमोग्लोबिन की कमी व नींद का कनेक्शन?
जवाब: हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शारीरिक गतिविधियों में थकान और अक्षमता होती है। एनीमिया ग्रस्त लोग सामान्य से अधिक सोते हैं। हालांकि दिन में बहुत ज्यादा सोने से वास्तव में थकावट हो सकती है। रात में भरपूर नींद लेना और दिन के दौरान 20 मिनट की झपकी लेना रोगी को थकान का बेहतर तरीके से सामना करने में मदद कर सकता है। हीमोग्लोबिन की कमी वाले मरीजों में अक्सर रेस्टलेस लेग सिंड्रोम विकसित हो जाता है। इस विकार में पैर में सनसनी और पैर को एक जगह से दूसरी जगह रखने में समस्या होने लगती है। इसके परिणामस्वरूप एनीमिया से ग्रस्त लोगों को अच्छी नींद नहीं आती है। नींद की कमी किसी व्यक्ति में संज्ञानात्मक क्षमता को प्रभावित कर सकती है और पाचन क्रिया को भी प्रभावित कर सकती है। एनीमिया से नींद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर लोग हर समय नींद का अनुभव करते हैं। एनीमिया ग्रस्त लोगों में अनिद्रा की समस्या बहुत सामान्य है। हीमोग्लोबिन की कमी से अनिद्रा या रात में सोने में अक्षमता की समस्या होना भी आम है। अनिद्रा शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिससे तीव्र अवसाद और तनाव विकार होता है।
इसके रिस्क फैक्टर क्या है?
जवाब: उम्र बढ़ने के साथ लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी का खतरा बढ़ जाता है। जीवनशैली से संबंधित कुछ आदतें इसे विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एथलीट या कसरत करने वाले लोगों को हीमोग्लोबिन की कमी होने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि शारीरिक परिश्रम रक्त प्रवाह में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने का कारण बनता है। पीरियड्स या प्रेग्नेंसी की वजह से भी महिलाओं में एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान, शराब के सेवन से शरीर में ऑक्सीजन की अतिरिक्त जरूरत होती है। इस प्रकार थोड़ी देर के लिए शरीर में जमा हीमोग्लोबिन से इस अतिरिक्त आवश्यकता की भरपाई होती है जिसके परिणामस्वरूप शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर कम होने लगता है।
सवाल: हीमोग्लोबिन के स्तर को कैसे करें सामान्य ?
जवाब: हीमोग्लोबिन के स्तर में मामूली असंतुलन से शरीर में आयरन की कमी की आशंका बढ़ जाती है, इसे रोकने के लिए रक्त में आयरन के स्तर को सामान्य किया जाना चाहिए। सप्लीमेंट इस क्षति को तुरंत पूरा कर सकते हैं। प्राकृतिक स्रोत भी फायदेमंद हो सकते हैं। आहार के माध्यम सेशरीर में आयरन की कमी को दूर करना सबसे सबसे अच्छा विकल्प है।
ग्रीन सोर्स- पत्तेदार सब्जियां आयरन की सबसे अच्छी स्रोत हैं, जो हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। 100 ग्राम पालक में 2.71 मिलीग्राम आयरन होता है, 100 ग्राम सलाद में 1.24 मिलीग्राम और 100 ग्राम तुलसी के पत्तों में 3.17 मिग्रा आयरन होता है। {बींस किडनी बींस, काबुली चना, ब्लैक आई बींस, सोया बींस में पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है।
पोल्ट्री और मांस- रेड मीट, चिकन और अंडे में आयरन के साथ ही प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
सी फूड- क्लैम्स, ऑयस्टर, मैकेरल, मसल्स जैसी कुछ समुद्री मछलियां होती हैं, जो आयरन की बहुत अच्छी स्रोत हैं। ध्यान रहे कि इससे एलर्जी न हो। {दूध के उत्पाद में आयरन की अधिक मात्रा मौजूद होती है, दही, पनीर भी इसके स्रोत हैं।
सप्लिमेंट से बचें- शरीर के सही ढंग से काम करने के लिए हीमोग्लोबिन के संतुलित स्तर की आवश्यकता होती है और जब इसका स्तर अपर्याप्त होता है, तो इसका परिणाम नुकसानदेह हो सकता है। रक्त में हीमोग्लोबिन स्तर की नियमित जांच आवश्यक है और आयरन सप्लीमेंट या इससे संबंधित दवा लेने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना बहुत जरूरी है। खुद से इन सप्लीमेंट को लेना खतरनाक हो सकता है।
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