No Fake News On Modi Government Remove Muslim Festivlas From NPR Manul 2020
झूठी है मोदी सरकार द्वारा एनपीआर मैन्युअल से मुस्लिम फेस्टिवल्स को हटाने की बात
3 वर्ष पहले
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क्या वायरल : एनपीआर मैन्युअल 2020 से ईद और दूसरे मुस्लिम त्योहारों को इंडियन फेस्टिवल्स की लिस्ट से बाहर किया गया
क्या सच : सरकार ने किसी मुस्लिम त्योहार एनपीआर मैन्युअल की इंडियन फेस्टिवल्स की लिस्ट से बाहर नहीं किया, जिन त्योहारों को सूची में रखा गया है उनका मकसद जन्म का महीना आइडेंटिफाई करना है
फैक्ट चेक डेस्क. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि, एनडीए सरकार ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के मैन्युअल में मुस्लिम त्यौहार जैसे ईद और अन्य त्यौहारों को जगह नहीं दी है। इन्हें भारतीय त्यौहारों की सूची से हटा दिया गया है। कई यूजर्स ने लिखा है कि, यह सीधा इस बात का संकेत है कि, भविष्य में एनपीआर का क्या नतीजा होगा। वायरल पड़ताल में सोशल मीडिया का दावा गलत साबित हुआ।
क्या वायरल
कई यूजर्स ने इस ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया है।
क्या है सच्चाई
एनपीआर मैन्युअल में हिंदू त्योहारों को इसलिए रखा गया है क्योंकि एनपीआर इंस्ट्रक्शंस मैन्युअल के अनुसार, त्योहारों के जरिए व्यक्ति के जन्म का महीना पता लगाने में आसानी होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने जन्म की तारीख को याद नहीं कर पाता लेकिन उसे जन्म का साल याद रहता है तो उस स्थिति में त्योहार वाला डाटा काम आता है।
सेक्शन 4.9 का प्रश्न शीर्षक का पांचवा प्रश्न लोगों के जन्म की तारीख को रिकॉर्ड करने से संबंधित है। इसके तहत सेक्शन सी कहता है कि, यदि सिर्फ जन्म का साल पता हो तो गणक को यह पूछना चाहिए कि किस सीजन में जन्म था, और यदि जन्म किसी त्योहार के आसपास हुआ हो। त्योहार का पता लगने से सीजन का पता चलता है, जिससे गणनाकार ग्रेगेरियन कैलेंडर में इसी महीने का उपयोग जन्म के महीने के रूप में रिकॉर्ड करने के लिए कर सकता है।
यह दावा सही है कि एनपीआर मैन्यूअल में कोई भी मुस्लिम त्योहार शामिल नहीं है क्योंकि इसका कारण है। मुस्लिम त्योहार एनपीआर का मकसद पूरा नहीं करते, जो दूसरे त्योहार करते हैं।
इस्लामी त्योहार इस्लामिक लूनर कैलेंडर के अनुसार होते हैं, जिसके कारण हर साल ग्रेग्रोरियन कैलेंडर में उनके संबंधित महीने में परिवर्तन होता है।
इसलिए मुस्लिम त्योहार के जरिए किसी व्यक्ति के जन्म का महीना पता करना संभव नहीं होता। इसी कारण एनपीआर मैन्युअल में सिर्फ इंडियन फेस्टिवल्स को ही रखा गया है।
एनपीआर मैन्युअल में ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से ही त्योहार रखे जाते हैं।
एनपीआर मैन्युअल 2020 को यहां देखा जा सकता है।
2011 के एनपीआर मैन्युअल में भी मुस्लिम त्योहारों को शामिल नहीं किया गया था। यह यूपीए सरकार के समय रिलीज किया गया था।
निष्कर्ष : पड़ताल में ये दावा झूठा निकला कि मोदी सरकार ने एनपीआर मैन्यूअल 2020 से मुस्लिम फेस्टिवल्स को बाहर किया है। मुस्लिम त्योहारों को इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह एनपीआर का मकसद पूरा नहीं करते। इनसे किसी व्यक्ति के जन्म का महीना आइडेंटिफाई नहीं हो पाता।