यह तो तय है कि कोरोना महामारी के बाद अनेक लोगों के व्यवहार में बदलाव आया है। खासतौर पर युवाओं में। चूंकि आसपास का वातावरण बदला है। युवाओं पर सबसे ज्यादा दबाव करियर को लेकर है। इसलिए वे चिड़चिड़े हो गए। अपना चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए ज्यादातर युवकों ने नशे की वृत्ति अपना ली। चूंकि अब नशे को बुराई माना ही नहीं जा रहा, इसे जीवनशैली का हिस्सा मान लिया गया।
प्रतिष्ठा, फैशन, मौज, खासतौर पर शराब का नशा इसी रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों एक खबर ने हैरान कर दिया। हवाई जहाज में एक कंपनी में ऊंचे पद पर नियुक्त युवक ने शराब के नशे में एक अधेड़ महिला पर पेशाब कर दी। सुनकर ही घिन आती है। यह बात लोगों को कब समझ में आएगी कि नशा हमारी शख्सियत को कमजोर करके हमारे गंदे पहलू को उजागर करता है।
शराब धैर्य और विवेक को पी जाती है। मनुष्य जब नशे में होता है तो उसके भीतर जानवर के जागने की आशंका अधिक होती है। कोविड ने युवकों के व्यक्तित्व और चरित्र दोनों को प्रभावित किया है और नशे ने उस प्रभाव को अधिक दूषित कर दिया।
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