हाल ही में एक कार्टून देखा जिसमें दो भाई घर के मुख्य हॉल में बैठकर टीवी देखते हुए माइक्रोवेव में बने पॉपकॉर्न खा रहे थे। तभी एक ने दूसरे से कहा, ‘हे भगवान, मम्मी अपना मोबाइल छोड़कर किचन में चली गईं, हम और पॉपकॉर्न कैसे ऑर्डर करेंगे?’ यह कार्टून मार्च 2020 के बाद से अब तक उपभोक्ता व्यवहार में आया बदलाव दर्शाता है, जो एक कमरे से दूसरे कमरे में भी फोन पर ऑर्डर करना चाहता है।
‘सोफा-जनरेशन’ को लेकर न सिर्फ माता-पिता बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चिंतित हैं क्योंकि इससे मोटापा बढ़ रहा है। हैरानी नहीं कि इस समय स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म लाखों नए सब्सक्राइबर को आकर्षित कर रहे हैं और नेटफ्लिक्स इस श्रेणी में अग्रणी रहा।
लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है। खुद नेटफ्लिक्स के सीईओ रीड हैस्टिंग्स ने इस हफ्ते शेयरधारकों से कहा कि चीजें ‘थोड़ी डांवाडोल’ हैं। उसके शेयरों में 37.07 डॉलर या 6.7% की गिरावट आई, जब दुनियाभर में चल रहे टीकाकरण कार्यक्रमों के साथ कोविड प्रतिबंधों में ढील पर निवेशक विचार करने लगे हैं। यानी दुनिया धीरे-धीरे सोफे से बाहर आ रही है और ‘पोस्ट-सोफा’ (सोफे के बाद की) जीवनशैली अपनाने का इंतजार कर रही, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था चलेगी। इस बहस को अलग-अलग पहलुओं में बांटकर देखते हैं।
पहला पहलू: दुनिया खुश है कि वैक्सीन लोगों को अस्पतालों से बाहर रखने में ‘उम्मीद से बेहतर’ प्रदर्शन कर रही है। अगर आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव की मानें तो ‘टीकाकरण के बाद संक्रमित होने वाले बहुत दुर्लभ हैं। दस हजार लोगों में से 2-4 ही संक्रमित हो रहे हैं। यह बहुत छोटी संख्या है और चिंताजनक नहीं है।’
दूसरा पहलू: इस कॉलम में जिन कोविड पासपोर्ट का पूर्वानुमान लगाया गया था, उन्हें 17 मई से इस्तेमाल किया जाएगा और यूके पहला देश हो सकता है, जिसके नागरिकों को यूरोप में प्रवेश मिलेगा। यहां के सबसे मशहूर देश स्पेन और ग्रीस ब्रिटेनवासियों के स्वागत को तैयार हैं। इजरायल ने देश के अंदर मास्क के नियमों में ढील दी है। उसकी 62% आबादी का पहले ही टीकाकरण हो चुका है।
तीसरा पहलू: लंबी महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रेस्त्रां और फैशन हाउस पश्चिम में अब धीरे-धीरे वापसी की तैयारी कर रहे हैं। वहां लॉन में खाने की अनुमति दी गई है और लोग रेस्त्रां या घूमने जाने के लिए कपड़े खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्होंने सालभर से कपड़े नहीं खरीदे।
चौथा पहलू: हर साल बदलने फैशन की तरह, ट्रेंड्स बदल रहे हैं। इस गर्मी में सॉफ्ट ड्रेसिंग ट्रेंड में हैं। लोग तंग कपड़ों की जगह ढीले-ढाले, आरामदेह कपड़े चुन रहे हैं, जिन्हें कहीं भी पहन सकें। महिलाएं मोतियों के हार, मेचिंग सेट्स, स्टड्स और छोटे पेडेंट आदि पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही हैं। साथ ही सॉफ्ट मेकअप कर रही हैं, जिसमें भौहें, आंखें और होंठ ही शामिल होते हैं। कम प्रिंट के साथ ढीले बॉटम नया फैशन हैं। दिया मिर्जा, करीना कपूर, सोनम आहुजा और प्रियंका चोपड़ा जैसी अभिनेत्रियों ने साधारण काफ्तान को लॉकडाउन का फैशन बना दिया है। फैशन पंडितों का मानना है कि सिलाई के अतिरिक्त काम के साथ यह बिजनेस दोबारा खुलने के बाद भी जारी रहेगा।
अगर आप तेज नजर रखने वाले बिजनेस समुदाय से हैं, तो आप बदलावों को देखेंगे और उनके मुताबिक बिजनेस में परिवर्तन करेंगे। याद रखें, बेचैन ग्राहक अब सोफे की दुनिया से निकलकर जीवन का आनंद लेना चाहते हैं और मुझे यकीन है कि जैसे-जैसे टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी, भारत में भी स्थिति बेहतर होती जाएगी।
फंडा यह है कि ‘पोस्ट-सोफा’ जीवनशैली के लिए तैयार हो जाएं, जहां ग्राहक खरीदारी का शानदार अनुभव चाहेंगे, साथ ही यह दुनिया स्वच्छता, गुणवत्ता, आराम के इर्द-गिर्द चलेगी।
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