क्या दौर आया है कि आदमी तब तक ही ईमानदार है, जब तक कि उसे बेईमानी करने का मौका न मिले। मौका मिले और फिर भी कोई ईमानदार बना रहे तब माना जाएगा यह व्यक्ति अलग चरित्र का है। इस वक्त हमारे देश में मजबूरी में ईमानदार लोगों की फौज बिखरी हुई है।
पिछले दिनों एक बड़े उद्योगपति ने मुझे बताया सिस्टम को ईमानदार रखने के लिए उन्होंने ऐसा ढंग अपनाया है कि अपने अधीनस्थ लोगों को बेईमानी करने का मौका ही न मिले। इसीलिए अपनी व्यावसायिक व्यवस्था में कई स्ट्रांग चैक पाइंट बना लिए हैं। बेईमानी के मेकअप का नाम भ्रष्टाचार है। फिर इससे एक ऐसी अव्यवस्था का जन्म होता है जो हत्यारी बन जाती है। देश में आज भी कई व्यवस्थाएं ऐसी हैं जिसमें भ्रष्टाचार की कीमत बच्चों को चुकाना पड़ती है।
कृष्ण ने कई युद्ध लड़े, पर हर युद्ध में बड़े संयमित रहते और सहजता से शत्रु का सामना करते थे। लेकिन, उनकी अनुपस्थिति में जब राजा शाल्व ने द्वारका पर आक्रमण किया तो द्वारका तो उजाड़ी ही, बच्चों पर भी घोर अत्याचार किया। जब कृष्ण वहां आए तो वह दृश्य देख नहीं सके और शाल्व को जो दंड दिया, आज भी इतिहास याद रखता है। जिस अव्यवस्था की कीमत बचपन को चुकाना पड़े, उसके साथ अस्थायी दंड से काम नहीं चलेगा। कृष्ण की तरह सख्ती रखते हुए बाल उम्र का सम्मान किया जाए, रक्षण किया जाए।
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