किसी बड़े अभियान में जब योग्य लोग जुड़ जाते हैं तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, सफलता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है अनुभव। आप ऊंची शिक्षा जल्दी हासिल कर सकते हैं, समय से पहले अपनी प्रतिभा जगा सकते हैं, लेकिन अनुभव अपने ही समय पर आता है और आने में थोड़ा वक्त भी लेता है। फिर, यदि जिम्मेदारी बड़ी और अनुभव जरूरी हो तो क्या करें? एक रास्ता है।
जीवन में अनुभव भले ही न आए, किसी अनुभवी को जरूर लाया जा सकता है। हनुमानजी जब लंका गमन जैसे बड़े अभियान पर निकले थे तो उस दल में लगभग सभी युवा, उत्साही और योग्य थे, लेकिन एक सदस्य अनुभवी था जामवंत। हनुमानजी ने प्रस्थान से पहले जामवंत से पूछा था आप उचित शिक्षा दीजिए कि मुझे करना क्या है। तब जामवंत ने समझाया था कि हम लोग दो तरह की यात्रा पर निकलते हैं।
एक संसार की, दूसरी परमात्मा की यात्रा। संसार की यात्रा में हमारी कोशिश बेचैन नहीं करती, लेकिन उससे मिलने वाली सफलता बेचैन कर सकती है। वहीं परमात्मा की यात्रा में कोशिश उदास कर सकती है, पर परिणाम में जो सफलता हासिल होती है, उसका आनंद ही अलग होता है। जामवंत की समझाइश हनुमानजी के बड़े काम आई और हमें भी समझना चाहिए कि जीवन में अनुभव आने में देर हो तो अनुभवी को साथ रखने में विलंब न करें।
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