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आप बेडरूम के दरवाजे पर खड़े हुए हैं और शायद गर्व से बच्चे को ऑनलाइन क्लास लेते हुए देख रहे हैं, सही? जिस तरह वह प्रश्नों के उत्तर देता है और शिक्षक से संबंधित सवाल पूछता है, उससे आप मंत्रमुग्ध हो जाते होंगे। आप इसलिए भी गर्व करते हैं क्योंकि वे न सिर्फ लैक्चर सुनते हैं बल्कि कुशलता से नोट्स टाइप करते हैं, जैसे दफ्तर में काम कर रहे हों! लेकिन आप इस पर गौर करने से चूक गए कि बच्चा अपने पूरे शरीर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
शब्द टाइप करने के लिए वह सिर्फ दाएं हाथ का प्रयोग कर रहा है, वहीं बायां हाथ गोद में है। फिर आप उन्हें स्कूल के बाद होमवर्क करते हुए गौर कर सकते हैं। देख सकते हैं कि पेंसिल से लिखने के दौरान भी उनकी हूबहू वही मुद्रा है! अगर आप पूछें कि तो क्या हुआ, तब मेरा जवाब यहां है।
हस्तलेखन के दूसरे फायदे हैं जैसे समानांतर सोचना, संक्षिप्तीकरण, विचार नए तरीके से दोहराना, अवधारणा की चित्र के रूप में कल्पना, लिखना या तेजी से दूसरे तरीकों पर जाना संदर्भ आसान बनाता है। फिर उनके नोट्स देखें। उन्हें होमवर्क तेजी से पूरा करते देखकर आपको खुशी होगी। पर आप होमवर्क की गुणवत्ता देखेंगे तो पता चलेगा कि वे लंबे निबंध नहीं लिख रहे हैं। उनके वाक्य बिना विवरणों के छोटे हैं।
कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे हाथ से नहीं लिखने के कारण कमजोर मोटर स्किल, धीमी संज्ञानात्मक पहचान, साथियों से कम संवाद है। शिक्षकों के मार्गदर्शन की कमी और लेखन के तरीके और शैली में सुधार न करवाने से यह बच्चों के विकास में बाधा बन रही है। मुझे कई विशेषज्ञों ने कहा है कि इसके दीर्घकालिक परिणाम होंगे।
डिजिटल सीख ने निश्चित रूप से छात्रों की लेखन क्षमता को प्रभावित किया है। मुझे याद है जब मैंने टाइपिंग कक्षा में जाना शुरू किया, तो लिखावट की परवाह छोड़ दी थी। और जब 1987 में मेरे पहले नियोक्ता ने मुझे कम्प्यूटर कीबोर्ड दिया, तो मैंने बिना कुछ सोचे टाइपिंग शुरू कर दी क्योंकि इसने मुझे प्रारूप लिखने, दोबारा लिखने, संपादित, आसानी से साझा-खोज और फिर से लिखने की ताकत दी।
कुछ पठनीय लिखने की तुलना में, अपनी अंगुलियों से मैं डिलीट ज्यादा कर रहा था। मेरे पहले संपादकों में स्वर्गीय अरुण साधु (किस्सा कुर्सी का से प्रसिद्ध) और बेहराम कॉन्ट्रैक्टर ही थे, जिन्होंनेे मुझे अपने विचारों और टाइपिंग की गति को एक लय में लाने में मदद की। तब से मैंने सीखा कि जो मैं अपने कम्प्यूटर पर टाइप करता हूं, वही बिल्कुल पाठक पढ़ना चाहते हैं। कम्प्यूटर पर डिलीट करना 90% कम हो गया।
एक अध्ययन कहता है कि जब छात्र लैक्चर सुनते और नोट्स टाइप करते हैं, तो वे बिना विचारे ऐसा करते हैं। वहीं, जब वे हाथ से नोट्स बनाते हैं, तो अपने विचारों के बारे में सोचते हैं और इससे उनके लिए अवधारणाओं को बेहतर तरीके से याद रखने में मदद मिलती है।
इसलिए, जब बच्चे वापस स्कूल जाएं तो शिक्षकों को उन्हें फिर से अक्षर बनाना, निर्देशित अभ्यास के साथ पेंसिल पकड़ना सिखाने के लिए दोगुनी मेहनत करनी होगी। यकीन मानिए शिक्षकों के लिए ये बहुत कठिन होने वाला है। कम उम्र से टाइपिंग शायद उन्हें कॉलेज असाइनमेंट में बेहतर करने या भविष्य के कार्यक्षेत्र में मदद कर सकती है पर वह दशकों बाद की बात है, जहां हमें खुद नहीं पता कि उस समय क्या मांग होगी।
पर विशेषज्ञों को पूरा विश्वास है कि नई दुनिया में नई सीखें जरूरी हैं और छात्रों को डिजिटल और कॉपी-कागज दोनों से साक्षर करने की जरूरत है। इस बात पर गर्व न करें कि बच्चा कम्प्यूटर चलाना, माइक म्यूट करना, कैमरा बंद करना और क्लास में जुड़ना जानता है। कृपया बुनियादी बातें सिखाना भी याद रखें।
फंडा यह है कि अकादमिक वर्ष 21-22 में बच्चों के साथ एक नई लड़ाई के लिए तैयार हो जाएं और उन्हें पहले बुनियादी चीजें सिखाएं।
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