पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
पुराने लोग कहा करते थे परिवार की गतिविधियों के केंद्र में परमात्मा को जरूर रखना चाहिए। इसका सीधा मतलब है परिवार में जो भी निर्णय लिए जाएं, जो जीवनशैली हो, उसके केंद्र में भगवान होना चाहिए। परिवार के केंद्र में परमात्मा होने का अर्थ है शांति, प्रेम, अपनापन और करुणा। लंका में युद्ध में अशोक वाटिका में सीताजी को त्रिजटा रणक्षेत्र का दृश्य बता रही थी।
रावण के नहीं मरने की बात सुन जब सीताजी उदास हो गईं तो त्रिजटा ने उन्हें समझाते हुए कहा, रामजी यदि एक बाण भी रावण के हृदय में मारेंगे तो वह मर जाएगा। लेकिन, वे इसलिए नहीं मारते कि ‘एहि के हृदय बस जानकी जानकी उर मम बास है। मम उदर भुवन अनेक लागत बान सब कर नास है।। रामजी सोच रहे हैं कि उसके (रावण के) हृदय में आप बसी हुई हैं और आपके हृदय में वे स्वयं बसे हैं और फिर उनके भीतर तो सारा संसार बसा हुआ है।
ऐसे में यदि रावण को मारेंगे तो तीर पूरे संसार को लगेगा, नुकसान सारी मानवता का होगा। यहां यही बड़े सूत्र की बात है कि परमात्मा के निर्णय कितने गहरे होते हैं। दुनियाभर की चिंता रहती है उन्हें। हमें विचार करना चाहिए कि जब घर-परिवार में कोई निर्णय लें तो इस बात का पूरा ध्यान रखें कि उससे प्रत्येक सदस्य कहां तक प्रभावित होगा, किसका क्या नुकसान, क्या नफा होगा।
पॉजिटिव- आर्थिक दृष्टि से आज का दिन आपके लिए कोई उपलब्धि ला रहा है, उन्हें सफल बनाने के लिए आपको दृढ़ निश्चयी होकर काम करना है। कुछ ज्ञानवर्धक तथा रोचक साहित्य के पठन-पाठन में भी समय व्यतीत होगा। ने...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.