विद्यार्थी जगत में इन दिनों सिलेक्शन, चयन की बहुत चर्चा होती है। अधिकांश लोगों का लक्ष्य चयनित होना ही है। इसीलिए सारे प्रयास सिलेक्शन के लिए किए जाते हैं। समझदारी यह होगी कि सफलता की बात की जाए। अगर सिलेक्शन नहीं भी हुआ तो सफलता बनी रहेगी, क्योंकि जीवन बहुआयामी है।
कुछ लोग एक जगह सिलेक्ट नहीं हो पाए, लेकिन जिंदगी के दूसरे क्षेत्र में सफल हो गए। इसलिए सिलेक्शन उस लक्ष्य का एक छोटा-सा हिस्सा होना चाहिए। समूचा लक्ष्य तो सफलता होना चाहिए। सफलता समग्र है। कभी व्यावसायिक जीवन में, कभी पारिवारिक जीवन में, कभी सामाजिक जीवन में, कभी निजी जीवन में अलग-अलग जगह सफलता प्राप्त करना है।
इसलिए मन कहेगा इसी में सिलेक्ट हो और यदि नहीं हुए तो उदास हो जाओ, आत्मघात कर लो, डिप्रेशन में डूब जाओ। ये मन का काम है। यदि आप सफलता को सही अर्थ में समझ गए तो अपने मन को भी नियंत्रित कर सकेेंगे। हमारा लक्ष्य सफल होना है जो हम बुद्धि से, अपने शरीर के परिश्रम से होंगे।
तब मन आपको बाधा नहीं पहुंचा पाएगा, क्योंकि सफलता का दायरा बहुत बड़ा है और मन आपको संकुचित करके एक जगह उलझाना चाहता है। उसी जगह से फिर वो आपको निराश-हताश भी करेगा। इसलिए कोशिश करें हमें सफल होना है। सिलेक्ट होना, न होना जीवन का एक छोटा-सा हिस्सा है।
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