कैफी आजमी ने स्त्रियों की तरक्की के बारे में कहा था- ‘उठ मेरी जान/मेरे साथ ही चलना है तुझे/कद्र अब तक तेरी तारीख ने जानी ही नहीं/अपनी तारीख का उनवान बदलना है तुझे...’ भारत में महिलाओं को STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स) फील्ड्स में करियर बनाने के लिए कई बाधाओं को पार करना पड़ा है। लेकिन अब वे इस दिशा में खासी तरक्की कर चुकी हैं और अपने लिए एक अधिक न्यायसंगत वातावरण के निर्माण के लिए सक्रिय होकर काम कर रही हैं।
उनके प्रयासों से लैंगिक अवरोध टूट रहे हैं और महिलाओं को बेहतर प्रतिनिधित्व मिल पा रहा है। STEM अंडरग्रैजुएट कोर्सेस में युवा लड़कियों का एनरोलमेंट साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। इंडस्ट्री के सकारात्मक सहयोग और अनुकूल सामाजिक परिवेश से भारत इस फील्ड में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की दिशा में अग्रणी बन सकता है और एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकता है, जिसमें लैंगिक विभेद न हो।
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक आज STEM वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या 14.1 प्रतिशत है और आगामी वर्षों में इस आंकड़े के और बढ़ने की सम्भावना है। विश्व बैंक का मानना है कि भारत की कार्यशक्ति में महिलाओं की सकल सहभागिता को बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि उन्हें इको-सिस्टम की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब यह तस्वीर बदलने लगी है।
सरकार की पहल
महिला पेशेवरों के लिए पर्सनल डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म WeAce की सीईओ अनुरंजिता कुमार का कहना है, STEM में महिलाओं की सहभागिता 20वीं सदी की शुरुआत से ही देखी जा सकती है, जब विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं ने क्रिप्टोग्राफी टीम का नेतृत्व किया था। लेकिन सामाजिक-पूर्वग्रहों के कारण इस क्षेत्र में उनकी सहभागिता घटती गई।
अगर आप देखें तो पाएंगे कि अनेक टेक-डिजाइन्स- फिर चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक्स हों या ऑटोमोबाइल्स- जाने-अनजाने पुरुषों को अपना टारगेट-ऑडियंस मानकर बनाए जाते हैं। इसे बदलना होगा। शुक्र है कि अब ‘गति’ और ‘किरन’ जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।
जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टिट्यूशंस (गति) में एक चैप्टर STEM फील्ड्स में महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत पर है। वे नॉलेज इनवॉल्वमेंट रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग (किरन) के साथ मिलकर इस दिशा में काम करते हैं।
महिलाओं के लिए नौकरियां
भारत में पेशेवर और तकनीकी क्षेत्र में महिला कर्मचारियों की संख्या 29.2 प्रतिशत से बढ़कर अब 32.9 प्रतिशत हो गई है। कम्पनियां अपनी वर्कफोर्स में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। टेक डोमेन महिलाओं का सबसे बड़ा नियोक्ता बना हुआ है।
38 प्रतिशत महिला कर्मचारी एंट्री-लेवल पर हैं, जबकि क्रमश: 26, 19 और 17 प्रतिशत महिलाएं प्रबंधन, वरिष्ठ प्रबंधन और एग्जीक्यूटिव पोजिशंस में हैं। कम्पनियां फोरेंसिक, साइबरसिक्योरिटी, क्लाउड कम्प्यूटिंग, डेवोप्स, ब्लॉकचेन जैसे विशिष्ट कौशलों में महिला प्रतिभाओं की तलाश कर रही हैं।
अब जब हम डिजिटल युग में प्रवेश कर चुके हैं, इसलिए नई सम्भावनाएं भी सामने आई हैं। यही कारण है कि आज लड़कियों के लिए प्राथमिक STEM शिक्षा प्राप्त करना जरूरी हो गया है, तभी वे डिजिटल क्रांति का लाभ उठा सकेंगी।
आप क्या कर सकती हैं
महिलाओं के नेतृत्व वाले नेटवर्क व कम्युनिटी में सहभागिता कीजिए। यह समझने के लिए वरिष्ठ महिला पेशेवरों की मदद लें कि आप अपनी पेशेवर यात्रा को बेहतर तरीके से कैसे नियोजित कर सकती हैं। महिलाओं के लिए SHEROES नामक सोशल नेटवर्क इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण इको-सिस्टम बनकर उभरा है।
वह महिलाओं के विकास के लिए उन्हें एक सहयोगी, समझपूर्ण पर्यावरण प्रदान करता है, जहां वे अपना पेशेवर विकास कर सकती हैं। उन्होंने पात्र, प्रशिक्षित और प्रमाणित महिला अधिकारियों की प्रभावी रिमोट-टीम तैयार की है, जो अनेक बिजनेस-समाधान मुहैया कराती हैं। यह पेशेवरों के लिए सरलता से उपलब्ध क्लाउड वर्कफोर्स है। इसकी मदद से आप नॉलेज और विशेषज्ञता का मजबूत प्लेटफॉर्म बना सकेंगी, जिससे आपको STEM फील्ड्स में अपना कॅरियर बनाने में मदद मिलेगी।
भारत में STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स फील्ड्स में करियर बनाने के लिए स्त्रियों को कई बाधाओं को पार करना पड़ा, पर अब वे खासी तरक्की कर चुकी हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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