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ऐसा लगता है अब तो कुकर्म बहुत ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। लोगों के बुरे काम पूनम-अमावस्या में समा गए। रात-दिन, सुबह-शाम फिजा में तो जैसे वासना घुल गई है। इंसान के कारनामे ही इंसानियत को शर्मसार करने लगे हैं। एक मूक-बधिर सगी मां से बेटा दुष्कर्म कर जाए, तो इसे कौनसा युग कहेंगे। कलियुग के लक्षण बड़े डरावने होते हैं और डर लगने भी लगा है। कोरोना रूपी बीमारी तो जैसे आई है, एक दिन चली भी जाएगी, लेकिन इस वासनारूपी बीमारी का क्या होगा?
अब तो साधु-संतों की इस बात पर ध्यान दिया जाए कि मनुष्य को अपने भीतर तमोगुण को कम करना पड़ेगा। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण, हम इस त्रिगुणवृत्ति से बने हैं और कोई भी एक गुण कभी पूरी तरह समाप्त नहीं होगा। मामला कम और अधिक का ही रहेगा। जिन लोगों के तमोगुण बढ़ेंगे, वो जीते-जी मरे हुए माने जाएंगे।
ऐसे ही एक मरे हुए इंसान ने जिंदगी के साथ-साथ पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया। कोई कहां तक गिर सकता है कि पतन की अंतिम परत भी नजर नहीं आ रही। इस समाचार को जिसने सुना-पढ़ा, लज्जा और ग्लानि में डूब गया। अब सबक लेने वाली बात यह है कि घर-परिवार में, समाज और राष्ट्र में लोग सतोगुण को बढ़ाएं, रजोगुण को संतुलित करें और तमोगुण को गिरा दें। वरना ऐसी घटनाएं और आहत करते रहेंगी।
पॉजिटिव- आपकी सकारात्मक और संतुलित सोच द्वारा कुछ समय से चल रही परेशानियों का हल निकलेगा। आप एक नई ऊर्जा के साथ अपने कार्यों के प्रति ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। अगर किसी कोर्ट केस संबंधी कार्यवाही चल र...
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