बहुत सारे कर्मों का कर्मयोग
विभिन्न मामलों के लिए भारत की क्षमता का निर्माण करना प्रधानमंत्री का एक बड़ा सपना है। इसे मिशन कर्मयोगी नाम दिया गया है, जिसके तहत प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और भविष्यपरक पहल करना शामिल है। इसके लिए चार समितियां काम कर रही हैं। एक सीधे प्रधानमंत्री के तहत है, एक समिति का नेतृत्व कैबिनेट सचिव कर रहे हैं, एक समिति कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की है, और चौथी समिति का नेतृत्व कौशल विकास सचिव कर रहे हैं।
सरकार की गोपनीयता
सिर्फ सूचना की सुरक्षा के लिहाज से ही नहीं, देश की सुरक्षा के लिहाज से भी इंटरनेट आधारित बातें ज्यादा ही संवेदनशील हैं। सरकार ने इसे देखते हुए दो स्वतंत्र सर्वर स्थापित किए हैं। ई-मेल, चाहे किसी भी कंपनी का हो, उसके स्थान पर देश की और सरकार की अपनी संवाद मेल प्रणाली शुरू की जा रही है। इसी तरह चैटिंग किसी विदेशी सर्वर पर करने के बजाए यह देसी स्वतंत्र सर्वर संदेश नाम की चैटिंग प्रणाली शुरु करने जा रहा है। यह दोनों प्रणालियां सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए होंगी, ताकि उनकी बातें किसी और के कान में न पड़ सकें।
आप नहीं आए, जानकर अच्छा लगा
राहुल गांधी कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब वह पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने नही जाएंगे। वैसे भी राहुल शुरू के 3 चरणों का मतदान पूरा होने के बाद ही पश्चिम बंगाल गए थे। अब जब 3 चरणों का मतदान और बचा है, तो राहुल प्रचार के लिए नहीं जाएंगे। फिलहाल लोग यह कहते हुए मज़े ले रहे हैं कि राहुल के बंगाल नही जाने से नुकसान किसे होगा? कांग्रेस को, या लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को, ममता को या बीजेपी को? उधर पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस समर्थक राहुल के इस फैसले की तारीफ करते नहीं अघा रहे हैं। इसका क्या मतलब माना जाए?
लालू इफेक्ट की तैयारियां
आखिरकार लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आने ही वाले हैं। उन्हें जमानत मिल गई है। उनके बाहर आने से सब से ज्यादा दिक्कत किसे होगी? चर्चा यह होने लगी है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 2 मई को जब आएंगे, तब तक लालू खुले में होंगे। फिर क्या होगा? लालू को अपनी रिहाई की छाप राजनीति पर तो छोड़ना ही होगा। लेकिन कैसे? क्या 6 राज्यों में (पांच वो और एक बिहार) सरकार में उलटफेर होगा? लोग यह तो कह रहे हैं कि बिहार में सरकार स्थिर है, लेकिन सीएम की कुर्सी को लेकर एक राय नहीं है।
निंदक नियरे राखिए
बीजेपी के पुराने दफ्तर, 11 अशोक रोड में एक थिंक टैंक का दफ्तर शुरू हुआ है। नाम है इंडिया फर्स्ट। थिंक टैंक का मुख्य काम अपनी शोध सरकार तक पहुंचाना रहेगा। इस थिंक टैंक को पहले दिन, पहले शो में ही साफ कह दिया गया है कि आपके बैठने का स्थान भले ही बीजेपी के परिसर में है, लेकिन आपसे बीजेपी का कोई संबंध नहीं रहेगा और आप पार्टी-सरकार की नीतियों की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं। मजेदार बात यह है कि इस थिंक टैंक के पोस्टर में इंडिया फर्स्ट के साथ तिरंगा छपा है। लेकिन उसमें अशोक चक्र नहीं होने के कारण वह कांग्रेस के झंडे जैसा नजर आ रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.