कार्तिकी गोंजाल्विस आईआईटी मंडी के संस्थापक-निदेशक और एक अमेरिकी इतिहासकार की बेटी हैं। वे बेंगलुरु से अपने घर ऊटी जा रही थीं, जब अचानक रास्ते में कुछ देखकर रुक गईं। उन्हें बोम्मन नजर आए थे और रघु के साथ उनके स्नेहपूर्ण रिश्ते ने उन्हें मुग्ध कर दिया था।
सेल्फ-मेड फिल्मकार कार्तिकी ने अगले पांच साल बोम्मन, उनकी होने वाली पत्नी बेल्ली और रघु व अम्मु के फिल्मांकन में बिताए। रघु व अम्मु दो नन्हे हाथी थे, जो दक्षिण भारत के मदुमलै टाइगर रिजर्व स्थित थेप्पकाडु एलीफैंट कैम्प में रहते थे। कार्तिकी इस जगह से अच्छी तरह परिचित थीं।
उन्होंने अपने गो-प्रो फोन और एक डीएसएलआर कैमरा से फिल्म की शूटिंग कर दी। साहस और जज्बा उनमें कूट-कूटकर भरा था। उन्होंने लगभग 400 घंटों के फुटेज की शूटिंग की, फिर उसे एडिट कर 40 मिनटों में समेट दिया। परिणामस्वरूप ‘द एलीफैंट व्हिपरर्स’ नामक फिल्म बनकर तैयार हुई। इसने एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स का दिल जीत लिया।
उसे इस साल सर्वश्रेष्ठ लघु वृत्तचित्र का ऑस्कर पुरस्कार प्रदान किया गया है। कार्तिकी ने आरम्भिक रील्स नेटफ्लिक्स को दिखाई थीं और प्रोड्यूसर के रूप में गुनीत मोंगा की मदद चाही थी, जो पहले ही पुरस्कृत फिल्मों के निर्माण के लिए प्रतिष्ठित हो चुकी हैं।
ऑस्कर समारोह में इस बार भारत को दो कामयाबियां मिली हैं। वे आत्मविश्वास और धैर्य की सफलताएं भी हैं। एमएम कीरवानी को सबसे पहले जिस गाने से ख्याति मिली, वह साल 1991 में आया था- ‘जामु राहित्री’। यह तेलुगु फिल्म ‘क्षणा क्षणम्’ में था। इसके निर्देशक रामगोपाल वर्मा थे। परदे पर थीं श्रीदेवी, जिनके साथ वेंकटेश दिखाई दिए थे।
हरीतिमा वाले जंगल की पृष्ठभूमि में फिल्माए गए इस गीत के ध्वनि-संयोजन में कीरवानी ने एक भिन्न प्रकार की संवेदनशीलता का परिचय दिया था। 61 साल के कीरावानी खासे आध्यात्मिक हैं और अपने जीवन का एक हिस्सा संन्यासी के रूप में भी बिता चुके हैं।
वैसा उन्होंने अपनी असामयिक मृत्यु की भविष्यवाणी को टालने के लिए किया था। आज वे अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा चैरिटी के लिए दे देते हैं। आज जब उनके गाने ‘नाटु नाटु’ ने बेस्ट सॉन्ग श्रेणी में ऑस्कर जीत लिया है तो उनकी जीवन-यात्रा हमारे सामने उभर आई है, जो धीमी, नियमित और सधी हुई रही है।
इस बार के ऑस्कर समारोह से अगर हमें कोई सबक मिलता है तो वो यही है कि धीमी गति से किंतु नियमित अच्छा काम करने वाला अंत में दौड़ जीत जाता है। मलेशियाई अभिनेत्री मिशेल योह ने जैकी चान की फिल्मों में मार्शल आर्ट विशेषज्ञ के रूप में कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्हें ‘टुमारो नेवर डाइज़’ और ‘क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रैगन’ जैसी फिल्मों से पहचान मिली।
आज वे 60 की हैं और उन्हें जिस फिल्म ‘एवरीथिंग एवरीव्हेयर ऑल एट वंस’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पुरस्कार मिला, वह उनके विविधतापूर्ण करियर के प्रति आदरांजलि ही है। वियतनामी मूल के अमेरिकी अभिनेता के हुए कुआन ने स्टीवन स्पीलबर्ग की ‘इंडियाना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ द डूम’ में बाल-कलाकार के रूप में काम किया था। वह फिल्म 1984 में आई थी। आज लगभग तीन दशक बाद उन्होंने ‘एवरीथिंग...’ में मिशेल के पति की भूमिका निभाकर सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का ऑस्कर जीत लिया है।
2023 का ऑस्कर समारोह महज विविधता का सम्मान करने वाला ही नहीं था, बल्कि यह इस बात का भी सबूत था कि दक्षिण एशियाई प्रतिभाएं अब दुनिया में उभरकर सामने आ रही हैं, क्योंकि उनके पास कहानियां सुनाने की एक भिन्न शैली है।
दक्षिण भारत के कलाकार नाचने और गाने में माहिर होते हैं और ‘नाटु नाटु’ इसका जोरदार उदाहरण है। संदेश स्पष्ट है। आप वही करें, जिसमें आपको महारत हासिल है और जिसमें आप यकीन रखते हैं। देर-सबेर सफलता आपको खोज निकालेगी। सफल होने के लिए आपको पश्चिम की नकल करने की जरूरत नहीं है।
इस बार के ऑस्कर समारोह से हमें सबक मिलता है कि धीमी गति से किंतु नियमित अच्छा काम करने वाला अंत में जीतता ही है। साथ ही, सफल होने के लिए आपको पश्चिम की नकल करने की जरूरत नहीं है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)
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