अगर आज लोकसभा चुनाव होते हैं तो भाजपा 284 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त करेगी- यह बात इंडिया टुडे के नवीनतम ट्रैकर ओपिनियन पोल से पता चली है। इसके लिए 15 दिसम्बर 2022 से 15 जनवरी 2023 के बीच 35,909 वोटरों से बात करके उनकी राय ली गई थी।
पोल ट्रैकर ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव को भी अपने विश्लेषण में शामिल किया था। इसमें संदेह नहीं कि यात्रा से राहुल के राजनीतिक ब्रांड को फायदा हुआ है। भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में उनकी जो रेटिंग अगस्त 2022 में 9 प्रतिशत थी, वह अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई है।
यह 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उनकी सबसे ऊंची रेटिंग है। इसका असर कांग्रेस पर भी हुआ है। 2019 में उसने 52 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि 2024 में उससे अपेक्षा लगाई जा रही है कि वह 68 सीटें जीतने में सफल रहेगी। जबकि 2014 में तो वह 44 सीटों पर ही सिमट गई थी।
तो क्या 2024 के आम चुनावों से पहले कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के पक्ष में मोमेंटम शिफ्ट हो रहा है? इस सवाल का जवाब देना आसान नहीं है। मोदी का जादू कायम है। ट्रैकर पोल के मुताबिक 53 प्रतिशत भारतीय उन्हें देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। तो जहां राहुल की लोकप्रियता बढ़ रही है, वहीं मोदी की लोकप्रियता घट नहीं रही है।
महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद प्रधानमंत्री की लोकप्रिय छवि कायम है। कांग्रेस के लिए बुरी खबर यह है कि 72 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के प्रदर्शन को सराहा है। 46 प्रतिशत ने इसे बेहतरीन तो 26 प्रतिशत ने सराहनीय बताया है। इतना ही नहीं, सर्वे के मुस्लिम प्रतिभागियों में से भी 53 प्रतिशत ने मोदी के प्रदर्शन पर संतुष्टि जताई है।
सर्वे के प्रतिभागियों से पूछा गया था कि आजादी के बाद से अब तक का भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री कौन है। इसमें पं. जवाहरलाल नेहरू को सबसे कम 5 प्रतिशत वोट मिले, जबकि मोदी 47 प्रतिशत वोट के साथ सबसे ऊपर रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह को 8 प्रतिशत, इंदिरा गांधी को 12 प्रतिशत और अटल बिहारी वाजपेयी को 16 प्रतिशत लोगों ने सर्वश्रेष्ठ बताया। लेकिन सबसे जरूरी सवाल यह है कि मोदी के बाद कौन? पोल के मुताबिक सर्वाधिक 26 प्रतिशत लोगों ने अमित शाह को प्रधानमंत्री के रूप में देखने की बात कही है। वहीं 25 प्रतिशत ने योगी आदित्यनाथ के नाम का समर्थन किया है।
यहां गौरतलब यह है कि जनवरी 2021 में कराए गए ट्रैकर पोल में अमित शाह को 30 प्रतिशत और योगी आदित्यनाथ को 21 प्रतिशत वोट मिले थे। तो जहां अमित शाह ने इतनी अवधि में 4 प्रतिशत समर्थन गंवाया है, वहीं योगी आदित्यनाथ ने अपने लिए 4 प्रतिशत अतिरिक्त समर्थन कमा लिया है।
सरकार के सामने कुछ चिंताजनक चुनौतियां हैं। अगस्त 2019 के ट्रैकर पोल में सरकार की आर्थिक नीतियों को 70 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने बेहतरीन बताया था, लेकिन अब यह आंकड़ा 54 प्रतिशत हो गया है। किस प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान इकोनॉमी का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया, यह पूछे जाने पर मोदी को 51 प्रतिशत तो मनमोहन सिंह को 36 प्रतिशत वोट मिले हैं। दूसरी तरफ एक अच्छी विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस की रेटिंग घटकर 19 प्रतिशत हो गई है, जो 2022 के पोल में 24 प्रतिशत बताई गई थी।
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की सूची में ममता बनर्जी को शीर्ष पांच में भी जगह नहीं मिली है। इसका फायदा राहुल गांधी को मिलेगा, जो यूपीए के इर्द-गिर्द एक गठबंधन बनाना चाहते हैं। पोल के मुताबिक यह गठबंधन 153 सीटें और 30 प्रतिशत वोट-शेयर जीत सकता है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा को आगामी आम चुनावों में 20 सीटें मिलने की सम्भावना जताई गई है। यह पिछले चुनावों से 2 ज्यादा है। अगर ऐसा होता है तो इससे तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को आघात पहुंचेगा। प्रतिभागियों ने केसीआर सहित अन्य क्षेत्रीय नेताओं को भी ज्यादा पसंद नहीं किया है, जो कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है।
मोदी बनाम राहुल वाली स्थिति स्वयं राहुल के लिए अच्छी नहीं होगी। प्रेसिडेंशियल शैली के चुनावों में मोदी ने खुद को मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित कर लिया है। 2024 में हार कांग्रेस के लिए अस्तित्व का संकट बन जाएगी। उसके अनेक नेता बुढ़ा रहे हैं। खुद राहुल 2029 में 60 के करीब होंगे। एंटी-इनकम्बेंसी के बावजूद सत्ता से 15 वर्षों तक दूर रहने के बाद वापसी करना आज की तुलना में ज्यादा कठिन होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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