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एन. रघुरामन का कॉलम:पैरेंटिंग का मतलब है सार्थक रिश्ते बनाने की कला

3 महीने पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

टीवी शो दीया और बाती की स्टार चारू असोपा की ज़िंदगी, उनकी एक साल की बेटी ज़िआना के इर्द-गिर्द घूमती है। भले ही वे अपने पति राजीव सेन से अलग हो चुकी हैं, फिर भी वे राजीव के कज़िन के हाल ही हुए में शादी समारोह में शामिल हुईं। ऐसा इसलिए क्योंकि चारू चाहती हैं कि जब ज़िआना बड़ी हो तो वह इस कारण से किसी स्थिति में असहज न हो कि उसके माता-पिता बात नहीं करते।

इसी तरह इश्क में मरजावां सीरियल के अभिनेता अर्जुन बिजलानी ने स्मोकिंग छोड़ने का रिज़ॉल्यूशन बनाया है। उन्होंने एक जनवरी से धूम्रपान नहीं किया है। ट्वीट में उन्होंने बताया कि अपने 7 साल के बेटे अयान के सामने बतौर पिता अच्छा उदाहरण पेश करने के लिए ऐसा किया है। इस 40 वर्षीय अभिनेता ने इसी कारण से शराब भी छोड़ी है।

मुझे खुशी है कि नई पीढ़ी के सितारे, पैरेंटिंग की संवेदनशीलता समझ रहे हैं और ऐसे कदम उठा रहे हैं ताकि उन्हें बाद में फ़ैसलों पर अफ़सोस न हो। हालांकि, कुछ को लग सकता है इसमें बड़ी बात क्या है क्योंकि पहले के माता-पिता ने बच्चों के लिए इससे बड़े त्याग किए हैं। ऐसे आलोचकों के लिए मेरे पास दो घटनाएं हैं, जिनमें 6 वर्षीय बच्चों ने दो चीज़ें की हैं- एक बेहद नकारात्मक-दूसरी दिल को छूने वाली।

बीते शुक्रवार, वर्जीनिया (अमेरिका) के एक स्कूल में, पहली कक्षा के 6 वर्षीय छात्र ने अपनी शिक्षिका (लगभग 30 वर्षीय) को गोली मारकर घायल कर दिया, इससे जान जा सकती थी। वह अब खतरे से बाहर है। बच्चे के पास हैंडगन थी और अब छानबीन हो रही है कि वह उसे कहां से मिली। यह भी पता लगाया जाएगा कि बच्चे को किस उम्र में और कैसे बंदूक के बारे में पता चला।

फिलहाल अंदाज़ा है कि फिल्म-टीवी देखकर या माता-पिता से उसे इसका पता चला होगा। इसके विपरीत, हैदराबाद के एक 6 वर्षीय बच्चे ने कुछ समय पहले अपने डॉक्टर से कहा, ‘मैंने अपनी बीमारी के बारे में आईपैड पर सब कुछ पढ़ लिया है। मुझे पता है कि मैं 6 महीने से ज्यादा नहीं जिऊंगा। लेकिन मैंने मम्मी-पापा को इस बारे में नहीं बताया है क्योंकि वे दुःखी हो जाएंगे। वे मुझे बहुत चाहते हैं, प्लीज़ उन्हें मत बताइएगा।’

अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर सुधीर कुमार यह सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने बच्चे से वादा किया लेकिन उन्हें यह तोड़ना पड़ा, ताकि परिवार के पास जितना भी समय बचा है उसे वे अच्छे से बिता सकें। 9 महीने बाद, पिछले हफ्ते दंपति ने अस्पताल आकर, अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन आठ महीने देने के लिए डॉक्टर को धन्यवाद कहा।

बच्चे को दिमाग के बाएं हिस्से में ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्मे ग्रेड 4 था, जिससे उसका दायां हाथ और पैर लकवाग्रस्त हो गए थे। बच्चा डिज्नीलैंड जाना चाहता था और वे उसे ले गए। माता-पिता ने नौकरी से छुट्टी ली और बच्चे के साथ शानदार वक्त बिताया। उन्हें खुशी थी कि वे बच्चे के साथ पूरे आठ महीने बिता पाए और उसकी इच्छाएं पूरी कर सके।

मोटिवेशनल गुरु गौर गोपाल दास कहते हैं कि स्वस्थ संबंधों के तीन स्वर्णिम सिद्धांत हैं- धैर्य, परिपक्वता और सीमाओं का सम्मान। रिश्ता कोई भी हो, नियम वही रहते हैं। सोच-समझकर बात करें, सहानुभूति रखें, मतभेदों को स्वीकार करें और निःस्वार्थ रहें। ये सभी गुण रातोंरात नहीं सिखाए जा सकते और पहले खुद मां-बाप को इन्हें अपनाना होगा। चूंकि किसी भी रिश्ते में मतभेद होना आम है, इसलिए बातचीत ही इन्हें सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका है।

फंडा यह है कि स्वस्थ और एक-दूसरे का सम्मान करने वाले रिश्ते से बच्चों में आत्मविश्वास, उपलब्धि और आत्मसम्मान का भाव जागता है। इससे वे बड़े होकर भी कुछ सार्थक कर पाते हैं।