इस बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने चेन्नई स्थित राज्य सचिवालय में महावत बोम्मन और उनकी पत्नी बेल्ली का सम्मान किया। वे ऑस्कर जीतने वाली डॉक्यूमेंट्री ‘द एलीफैंट व्हिस्परर्स’ की प्रेरणा हैं। मुख्यमंत्री ने बोम्मन और बेल्ली को एक-एक लाख रुपयों के चेक दिए और साथ ही घोषणा की कि मदुमलै और अन्नामलै स्थित एलीफैंट कैम्प के सभी 91 कर्मचारियों को ऐसा पुरस्कार दिया जाएगा।
महावतों और उनके सहायकों के घरों के निर्माण के लिए 9.1 करोड़ की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। साथ ही अन्नामलै स्थित कैम्प के उन्नतीकरण के लिए 5 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलने तक बोम्मन और बेल्ली ने उन पर निर्मित फिल्म पूरी देखी तक नहीं थी। हालांकि मुख्यमंत्री द्वारा बोम्मन और बेल्ली जैसे लोगों का सम्मान करना सराहनीय है, लेकिन काश कि यह पहले ही कर दिया जाता।
शौनक सेन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘ऑल दैट ब्रीदेस’ दिल्ली के दो भाइयों मोहम्मद सऊद और नदीम शहजाद की कहानी है। इन भाइयों ने अपना पूरा जीवन घायल पक्षियों- विशेषकर दिल्ली के आसपास के इलाकों की चीलों- को बचाने और उनका इलाज करवाने में बिता दिया है।
ऑस्कर समारोह में यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर श्रेणी में ‘नैवेल्नी’ से हार गई थी। लेकिन ‘ऑल दैट ब्रीदेस’ दिल्ली के वायु प्रदूषण के बारे में ही नहीं है। 93 मिनट लम्बी यह फिल्म अनेक वर्षों के दौरान फिल्माए गए 400 घंटों के रफ फुटेज से निर्मित की गई है। फिल्म हमें बताती है कि सभी जीवित प्राणियों में एक सम्बंध होता है और हर वो प्राणी जो सांस लेता है, उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
हम सब जानते हैं कि पक्षियों को पर्यावरण की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। चूंकि पक्षी रहने की जगहों में हो रहे बदलावों के प्रति संवेदनशील होते हैं और उनकी आसानी से गणना की जा सकती है, इसलिए वे पर्यावरणविदों के प्रिय बन जाते हैं। पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की पहली झलक पक्षियों की आबादी में हो रहे बदलावों से ही मिलती है।
इकोसिस्टम को चाहे कृषि-उत्पादन के लिए प्रबंधित किया जाए या वन्यजीवन, जल और पर्यटन के लिए, सफलता का आकलन पक्षियों के स्वास्थ्य से ही किया जाता है। पक्षियों की संख्या में कमी का मतलब यह होता है कि हम रहने की जगहों को दूषित करके पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं।
वास्तव में हम एक पर्यावरण-संकट की दहलीज पर खड़े हैं और इसे हम जितनी जल्दी समझ लेंगे, उतना ही हम अपनी पृथ्वी को अधिक क्षतिग्रस्त होने से बचा सकेंगे। ‘ऑल दैट ब्रीदेस’ न केवल हमें चेताती है, बल्कि हमारे ग्रीन-फ्यूचर के लिए समाधान भी सुझाती है। भले ही इसे कोई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार न मिला हो, लेकिन हमें इसकी सराहना करनी चाहिए।
कॉर्पोरेट कल्चर में सराहना को कर्मचारियों की उत्पादकता में गुणवत्तापूर्ण बढ़ोतरी करने वाले कदम की तरह देख जाता है। यह अंतत: कम्पनी के ही हित में होता है। एक लीडर हमेशा ही अपनी आंखों या कानों से जमीनी स्तर पर चीजों की निगरानी नहीं कर सकता, उनके सहायक ही नीचे काम करने वाले वर्कर्स की योग्यता के बारे में बताते हैं, जिससे उच्चतर प्रबंधन या लीडर का काम बेहतर बनता है।
फंडा यह है कि अच्छे लोगों और अच्छे कामों की खुलकर और सार्वजनिक रूप से सराहना करना एक अच्छे मनुष्य का बुनियादी गुण है। एक अच्छा लीडर वही है, जो किसी कार्य को दुनिया की सराहना मिलने से पहले ही उसकी सराहना करना जानता है।
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